Sunday, November 17, 2013

ब्लॉग और फ़ेसबुकिया साथी ...एक स्मरण

ये टैब पर नौसीखिया हूँ ,रचना और परिवार के सब सदस्य WhataApp पर मिलने लगे हैं ....
 टैब पर लिखने में मजा नहीं आता तो मौका मिलते हीं डेस्क्टॉप पर ब्लॉग  लिखती हूँ :-) .....फ़ेसबुक पर जब कभी लिखने में गलती करती हूँ तो अली भाई के इन्डायरेक्टली समझाने से समझ में आ जाता है ....राहुल सिंग जी चुपचाप लिखते-पढ़ते हैं, पता है ...
(मुझसे भी कुछ कहते नहीं बनता उनका लिखा चुपचाप ही पढ़ लेना पड़ता है , बहुत संजीदा लेखन है उनका)
इन दिनों फ़ेसबुक बहुत हुआ वहाँ मेरी हॉबी पढने,लिखने गाने के बाद अब कवर फोटो बदलना हो गई है वत्सल ने बताया .... (वत्सल-पल्लवी दोनों को बड़ा कर दिया है, अब वे मुझे संभालते हैं.....)
वहाँ का नजारा पिछले दिनों कुछ ऐसा रहा-

 निवेदिता टैगिंग से परेशान हुई ,वन्दना फ़ेसबुक पर सच्ची वाली विदा बोल कर गई है .... लगता है दीवाली पर जो पुस्तकों की रैक की सफ़ाई की थी ...कई बिना पढ़ी पुस्तकें मिली होंगी उसे ...उसके पीछे निवेदिता भी ... पर पता नहीं क्यों ? .... :-( ...वाणी को टिपण्णी करने में उलझन लगी रही ,ब्लॉगिंग बहुत बढ़िया करती है .ज्ञानवर्धक....पहले  सुबह की चाय पर मिल जाया करती थी अब वो भी नहीं आती...:-(.
पीडी,और शेखर ब्लॉक करके टैग करने वालों को लॉक लगाते रहे हैं , बीच-बीच में अभिषेक की  खिंचाई भी चलती रहती है .....   शिखा ने नया मोबाईल लिया फोटोग्राफी अच्छी है उसकी भी ,अमित जी ने रसोई में ज्ञान प्राप्त किया निवेदिता को डेंगू होने पर , काजल जी को बारिश ने बहुत  तंग किया ,  विवेक और महफूज दोनों मोटे-पतले होने में अब तक लगे हैं,शायद हो नहीं पा रहे ..... :-)
वीर जी और ललित जी ने वाट लगा रखी है,महफ़ूज़ बाबा की ...२७ फोटो की बात कहकर ब्लैकमेल करते हैं बच्चे को ...

सनातन जी वेदाध्ययन करवा रहे हैं, पहले कोणार्क घुमाया अब गॄह-नक्षत्र-तारे दिखाकर हम जैसे अनपढ़ों का ज्ञान बढ़ा रहे हैं .सभी की ओर से आभार कहना चाहती हूँ उनका ....

...अनु (अनुलता)को थोड़ी फुरसत मिल जाती है कभी-कभी उसमें भी या तो मुझे चिढ़ाती है या टांग खींचती है मेरी ...क्योंकि  मेरी वॉल पर आकर लेखिका/कवियित्री वाली इमेज चौपट हो जाती है उसकी ....
  तो समीर जी ,अरविन्द मिश्रा जी और भैया(अब नाम लिखने की जरूरत नहीं पड़ती इनका)  भयंकर रूप से व्यस्त और त्रस्त  हैं, अनूप जी च्यवनप्राश की फैक्ट्री कहाँ डालेंगे? फुर्सत में ...पता नहीं सुबह से ही कट्टा दिखाने लगते हैं चाय के साथ और अभी तो मार्निंग ब्लॉगर ज्ञान जी का जन्मदिन मनाने में व्यस्त थे ....
मुकेश ने गिटार उठा ली थी ,ऑफ़िस में भी बजाते रहते हैं , और अजय ,पदम् ,दिलीप और शिवम् अपने-अपने मोर्चों पर तैनात है,.....दूर गौतम की गज़ल महकती है कभी तो कभी आशीष की गीता सुगंध बिखेरती है.......
....और मैं चिंता करती हूँ  और बिट्टो कैसी है? गुड्डू रात को समय पर खाना खाती होगी या नही....दीपक के क्या हाल होंगे ..कब घर आयेगा ..अविनाश जी ने मुनिया का क्या नाम चुना होगा.....
गिरीश जी की बेटी का इस साल ग्रेजुएशन पूरा हो जाएगा उससे दुबारा कब मिल पाउंगी ,
सागर जी अगला गीत कौनसा सुनाएंगे ,नितीश उत्तराखंड में अब किस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा होगा ....सब........बैचैन आत्मा चित्रों का आनन्द लेने कहाँ भटक रही होगी ......!

सिद्धार्थ जी कहते हैं मैं  मुखपुस्‍तक चर्चा... (चिठ्ठा चर्चा की तर्ज पर) करती हूँ.....जबकि वे राशिफ़ल बताते रहते हैं हर हफ़्ते ...
हर हफ़्ते की बात से याद आया मैं कभी नियमित नहीं हो पाती .....कि कभी गाना,कभी फोटो, कभी पॉडकास्ट कुछ भी चलता है मेरा तो पर रवि रतलामी जी  सूज्ञ जी, शिल्पा जीअनुराग जी और बंगलौर वाले छोटे भाई
कितने नियमित रह्ते हैं हमेशा सीखना चाहिए उनसे सबको.......
और हाँ वो कुटिल कामी पता नहीं किसकी कुटिलता में फ़ंसे हुए हैं नमस्ते भी नही हो पाती अब तो  ..एक समय था जब हफ़्ते में दो-तीन बार तो हाल-चाल मालूम हो जाते थे उनके .....
रश्मि , सोनल और शिखा कहानियाँ और अखबारों वगैरह के लिए लिखती हैं तो बताती रहती है ....वरना कहाँ क्या कर रही हैं पता ही नहीं चलता ... ताऊ के हाल राज जी से ज्यादा कौन बता पाएगा ,वे सब पर नजर रखते हैं जर्मनी से ही ....
और कविता जी और शोभना दीदी भी इन्दौर में ही रहती हैं ....वैसे मॄदुला दीदी और रश्मिप्रभा दी का आशिर्वाद बना रहता है- समय-समय पर ...

और ये लिखते-लिखते मेरी लिखी ये लाईने मिल गई , वो पढ़ रही हूँ ---

एक पल कोई साथ चले तो,बनता एक अफसाना है,
कल फिर लौट के जाना है ,अपना जहाँ ठिकाना है।...

पथ के कांटे चुनते - बीनते हमको मंजिल पाना है,
मिल जाए जो दीन -दुखी तो अपना हाथ बढ़ाना है।...

चलते-चलते मिल जाते साथी,बस बतियाते जाना है,
मंजिल की तुम राह न ताको मिलकर चलते जाना है।...

"बूँद"-"बूँद" से भरेगी गागर,बस हमको छलकाना है,
हर एक जगह पर कुंभ लगेगा,अमॄत बूँद गिराना है ........

-अर्चना
 अब ये लाईने लिखते हुए  पता लगा कि पोस्ट लम्बी हो रही है ... और भी बहुत लोग हैं, जो याद आते हैं, आते रहेंगे लेकिन ये भी जानती हूँ कि कमेंट में मुझे ताने भी मारेंगे .... कि .... पर ......
किसी को याद करते-करते , कुछ बात कम ज्यादा कह दी हो तो दादी कहती थी माफ़ी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता ..... और न माफ़ करने से ही ..... :-) 

    25 comments:

    1. वाह दीदी यह अंदाज़ भी बड़ा अनोखा रहा ... दिल की बात भी कह दी और "चर्चा" की चर्चा भी हो गई ... गज़ब आइडिया लगाया ... :)

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    2. बहुत सारे लोगों को याद कर लिया आपने तो.. चोखा आईडिया है ये तो..

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    3. बड़ा मन किया कुछ बुराई निकालूं...........
      मगर क्या करूँ पोस्ट पढने में इत्ता मज़ा आया कि सोचा चलो इस बार बख्श दें :-)

      वैसे वो गज़लनुमा जो लिखा है उसके भाव बड़े अच्छे हैं !! :-p

      हाँ अनु तो अनुलता है ही "वीर जी" भी अनु हैं :-) चाहे तो क्लिक करके देख लें !!!
      <3
      सादर
      अनु

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    4. जैसे पीटी मास्टर क्लास के सब बच्चों को एक लाइन में खड़ा करके क्लास लेता है वैसे ही आपने सब ब्लॉगरों की क्लास ले ली। बहुत खूब!

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    5. याद करने और याद रखने का अनोखा अंदाज ...
      सभी यादगार ब्लोगेर हैं ...

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    6. हा हा हा इसको कहते हैं दीदी ईश्टाईल पोस्ट :) कमाल का लपेट मारा है आपने सबको ।

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    7. अपनी ही कुटिलता में फ़ंसें हैं जी:)

      बकाये सहित नमस्ते स्वीकार की जाये।

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    8. दी ,आप की बातों के जवाब में आपसे शब्द ही उधार ले लेती हूँ "कल फिर लौट के जाना है ,अपना जहाँ ठिकाना है "...सादर !

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    9. मुझे तो "चमनप्रास" फ़ैक्टरी खुलने का इंतजार है। कम से कम दुर्बल होते ब्लॉग जगत को नई उर्जा मिलेगी तथा कायाकल्प हो सकेगा।

      पोस्ट लिखने में आपने काफ़ी मेहनत की है। अपनी मित्र सूचि में मुझे स्थान देकर सम्मानित करने के लिए कोटिश आभार :)

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    10. सबको आपने यादों के गुल्लक में संजो दिया । आइडिया अच्छा है । यही काम मैंने एक बार फेसबुक पोस्ट पर किया था । पर आप तो आप हैं ।

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    11. अलग-सा अंदाज़. कविता की पंक्तियाँ अच्छी लगीं.

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    12. बहुत से लोगो को याद कर लिया..
      अच्छा लगा अंदाज....
      :-)

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    13. बढ़िया तरीका है...मज़ा आया...बधाई...|

      प्रियंका

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    14. जैसे मैं तो घास छीलता रहा अबतक... :)
      ...
      ...
      ...
      बाकी लोगों का मान देखकर तो यही लगा।
      सुन्दर पोस्ट।

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    15. mera bhi thoda sampark raha hai aapse aur apke blog se... idhar vyastata ke mare nahi aa paya.. isliye shayad sansmaran se bhahar hon... dusri kadee me shayad aa jaaun ..

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    16. मुझे आपनेयाद किया धनयवाद आपका इनतजार करतेकरते मै बेनगलोर आ गई

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    17. कितना परिश्रमी हैं आप

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    18. अर्ररररे! इस पर टिप्पणी की होगी जरुर . स्पैम में देखिये!!

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    19. अर्ररररे! इस पर टिप्पणी की होगी जरुर . स्पैम में देखिये!!

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    20. अर्ररररे! इस पर टिप्पणी की होगी जरुर . स्पैम में देखिये!!

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    21. इसे कहते हैं गागर में सागर .
      जब पोस्ट की तारीख़ नहीं देखी थी तब लगा था कि हमसे क्या भूल हुई ? .....
      अच्छा लगा सबके बारे में कुछ कुछ पढ़कर .

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    22. बहुत मेहनत किया। धीरे-धीरे ब्लॉग जगत की नानी के रूप में पहचानेंगे लोग आपको।

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