न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
बहुत उम्दा है.... मायरा जी से समय चुराकर आप फिर कुछ ऐसी ही उत्कृष्ट रचनाओं को अपनी आवाज़ देने के लिए समय निकले .... नानी जी :)
बहुत उम्दा है....
ReplyDeleteमायरा जी से समय चुराकर आप फिर कुछ ऐसी ही उत्कृष्ट रचनाओं को अपनी आवाज़ देने के लिए समय निकले .... नानी जी :)