न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे,
न ही किसी कविता के,
और न किसी कहानी या लेख को मै जानती,
बस जब भी और जो भी दिल मे आता है,
लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Monday, July 7, 2014
बचपन
मेरे बालमंदिर की फोटो
कितना प्यारा होता है बचपन ...और बचपन की यादें .....घर के सामान की उठापटक के बीच से मिली ये तस्वीरें जैसे ही सामने आई ,सब अपने लोग याद आए .....और बहुत याद किया नितीन को ...मेरा बाल सखा .... मेरी दाहिनी और एक छोड़कर .....
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