Wednesday, October 29, 2014

ठुमक -ठुमक "मायरा" चलत

(बहुत कोशिश के बाद भी नानी की बेटी- "मायरा" के ब्लॉग पर प्लेअर नहीं लगे ... :-(





ठुमक -ठुमक "मायरा" चलत
नानी को नचाने -२

नानी आये पीछे-पीछे
मायरा भागे आगे...
नन्हे-नन्हे पैर हिले
छुन-छुन पायल बाजे....
ठुमक -ठुमक "मायरा" चलत
नानी को नचाने.....२

एक जगह टिकती नहीं
ये छोटी पिदुकली
लेटते ही पलटी मारे
देखते रहें सारे...
ठुमक -ठुमक "मायरा" चलत
नानी को नचाने.....२

नानी उसको गोद ले तो
चार बाल नोंच ले
कभी चश्मा खीच ले
और नाक भी दबोच ले
नानी से ही खिचड़ी खाए
और झूला झूले...
ठुमक -ठुमक मायरा चलत
नानी को नचाने.... २

6 comments:

  1. वाह , नानी के लाड़ की ऐसी प्यारी अभिव्यक्ति ..। आनन्द आगया । मैंने भी मान्या (पोती) के लिये एक कविता लिखी थी जब वह घुटनों चलना सीखी थी पर आपके गीत की तो क्या बात है ।जियो नानी ..।

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  2. आपका यह वत्सल-चित्रण ,सूर के वात्सल्यवर्णन की याद दिला गया
    नन्हीं मायरा, नटखट श्याम से कम थोड़े ही है !

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  3. सुन्दर और मधुर गीत।
    --
    मायरा भी प्रसन्न होगा।
    मेरा शुभाशीष।

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  4. बहुत सुन्दर
    नानी का प्यार गीतों में
    सादर !

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