न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
आभार मेरी रचना को अपने स्वर में जीवंत करने के लिए...
बहुत सुन्दर। प्रकाशोत्सव के महा पर्व दीपावली की शृंखला में पंच पर्वों की आपको शुभकामनाएँ।
बढ़िया
बढिया!
आभार मेरी रचना को अपने स्वर में जीवंत करने के लिए...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteप्रकाशोत्सव के महा पर्व दीपावली की शृंखला में
पंच पर्वों की आपको शुभकामनाएँ।
बढ़िया
ReplyDeleteबढिया!
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