Wednesday, December 3, 2014

विदा कहना और करना आसान नहीं ...

2/12/1996 से....... 2/12/2014....... अब तक
18 साल......

पर उस दिन को ,उस पल को
भूलना आसान नही,

भुलाना भी क्यों?
और कैसे?
जबकि
अंतिम सांस की आहट
और खड़खड़ाहट
गूंजती है अब भी
कानों में
और ये आँखे बंद
होकर भी नहीं होती
विदा कहना
और करना
आसान नहीं....
.
वचनबद्ध हूँ...
रहूँगी सदा.....

महसूसती हूँ
आज भी
अंतिम स्पर्श
.....
और

सुनाई देती है चीख
अंतिम मौन की....

रात भर का साथ
और निर्जीव देह
एक नहीं दो
.
बस!
दिखाई देता है
जीवन यात्रा
का पूर्णविराम....
जहाँ लिखा था-
ॐ नमो नारायणाय......
.
.
वक्त के साथ
सफर जारी है मेरा

ॐ शांति शांति शांति......

5 comments:

  1. मौन हूँ
    मैं भी तुम्हारे साथ, बहना!
    मुझको भी
    पीड़ा में अपनी
    साथ जानो!!!

    ReplyDelete
  2. बढ़िया प्रस्तुति!

    ReplyDelete
  3. एहसास ही तो है प्रेम ....बढ़िया प्रस्तुति !
    ऐ भौंरें ! सूनो !

    ReplyDelete