कल सुबह-सुबह फोन आया ,फोन बदल लेने से नम्बर सेव नहीं था ....नया नम्बर लगा ...फ़िर आदत से लाचार खुद फोन लगाया .... नमस्ते नितेश बोल रहा हूँ,....आवाज आई..नितेश उपाध्याय..
-हाँ,हाँ पहचान लिया , नमस्ते ,बोलिए
- मैडम , एक हेल्प चाहिए थी
-जी, कहिए
-वो क्या है कि हम एक टेलि फिल्म शूट कर रहे हैं ,उसमे एक बच्चे की केयर करने वाली महिला का जो रोल करने वाली थीं वे सुबह मुम्बई निकल गई हैं . ...प्लीज आप करें
-मैं, मैंने तो कबःई कुछ नहीं किया ..
-कोई बात नहीं, वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए..., आपको लेकर जाउँगा और शाम को घर छोड़ भी दूँगा
-अरे! मगर कब करना है? और क्या करना होगा ?
(संक्षेप में बताया ) आप कब फ़्री होंगी...तीन बजे तक फ़्री हो जाएंगी ?...प्रश्न के साथ
मैंने कहा हाँ दो बजे घर पहुँचती हूँ ...
-ठीक है, मैं आपको फोन करता हूँ .....दो तीन सूती साड़ी होगी आपके पास?
-जी है
-ठीक , वो रख लीजियेगा ...
-ठीक
बस! रख दिया फोन ....
...
और इस तरह ३ बजे से --७ बजे तक कल शूट किए कुछ दॄष्य...... साड़ी गुजराती स्टाईल में पहली बार पहनी और सिर पर पल्लू भी पहली बार ही लिया ..:-)
मेरे जीवन का एक अद्भुत अनुभव .... बिना कुछ जाने ....बस जो निर्देश मिलते गए ...करती गई ...पता नहीं कैसे किया ...निर्देश्क नें कैसे झेला ...:-)
...और रिजल्ट क्या होगा ...पर मजेदार बात ये रही कि -केमरा मेन साहब को सब संतोष पुकार रहे थे ... फ़ेसबुक फ़्रेंड से मुलाकात हुई ....
खैर! मन में बस यही था कि जब नितेश को मुझ पर इतना विश्वास है, तो उसका विश्वास टूटना नहीं चाहिए .... और पूरी टीम का कार्य रूकना नहीं चाहिए .....किसी का समय बर्बाद नहीं होना चाहिए ..
कभी सोचा न था .... कि जीवन में ऐसा अनुभव भी मिलेगा ...
तो इस अविस्मरणीय अनुभव के लिए रंगकर्मी टीम "अनवरत"का हार्दिक आभार ! ..
खुद मैंने नहीं देखे कोई दॄष्य.... तो इन्तजार....इन्तजार ....
-हाँ,हाँ पहचान लिया , नमस्ते ,बोलिए
- मैडम , एक हेल्प चाहिए थी
-जी, कहिए
-वो क्या है कि हम एक टेलि फिल्म शूट कर रहे हैं ,उसमे एक बच्चे की केयर करने वाली महिला का जो रोल करने वाली थीं वे सुबह मुम्बई निकल गई हैं . ...प्लीज आप करें
-मैं, मैंने तो कबःई कुछ नहीं किया ..
-कोई बात नहीं, वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए..., आपको लेकर जाउँगा और शाम को घर छोड़ भी दूँगा
-अरे! मगर कब करना है? और क्या करना होगा ?
(संक्षेप में बताया ) आप कब फ़्री होंगी...तीन बजे तक फ़्री हो जाएंगी ?...प्रश्न के साथ
मैंने कहा हाँ दो बजे घर पहुँचती हूँ ...
-ठीक है, मैं आपको फोन करता हूँ .....दो तीन सूती साड़ी होगी आपके पास?
-जी है
-ठीक , वो रख लीजियेगा ...
-ठीक
बस! रख दिया फोन ....
...
और इस तरह ३ बजे से --७ बजे तक कल शूट किए कुछ दॄष्य...... साड़ी गुजराती स्टाईल में पहली बार पहनी और सिर पर पल्लू भी पहली बार ही लिया ..:-)
मेरे जीवन का एक अद्भुत अनुभव .... बिना कुछ जाने ....बस जो निर्देश मिलते गए ...करती गई ...पता नहीं कैसे किया ...निर्देश्क नें कैसे झेला ...:-)
...और रिजल्ट क्या होगा ...पर मजेदार बात ये रही कि -केमरा मेन साहब को सब संतोष पुकार रहे थे ... फ़ेसबुक फ़्रेंड से मुलाकात हुई ....
खैर! मन में बस यही था कि जब नितेश को मुझ पर इतना विश्वास है, तो उसका विश्वास टूटना नहीं चाहिए .... और पूरी टीम का कार्य रूकना नहीं चाहिए .....किसी का समय बर्बाद नहीं होना चाहिए ..
कभी सोचा न था .... कि जीवन में ऐसा अनुभव भी मिलेगा ...
तो इस अविस्मरणीय अनुभव के लिए रंगकर्मी टीम "अनवरत"का हार्दिक आभार ! ..
खुद मैंने नहीं देखे कोई दॄष्य.... तो इन्तजार....इन्तजार ....
कितना निःशब्द करेंगी आप मुझे.........
ReplyDeleteलिखना, गाना ,स्पोर्ट्स सिखाना, ब्लॉगिंग...........। और अब अभिनय भी।
वाह!ढेरों बधाईयाँ।और रिजल्ट निश्चित तौर पर अच्छा ही होगा गुरूजी क्योंकि आपने किसी के विश्वास को बनाये रखने के के लिए पुरे मन से ये कार्य किया है।
मेरे आग्रह पर "छोटू" पर न सिर्फ निगाह डालने बल्कि उस पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया भी व्यक्त करने के लिए आपका ह्रदय से आभार।
जीवन के ऐेसे अनुभव ही ज़िंदगी को एडवेंचर्स बनाये रखते हैं, उत्तम प्रस्तुति।
ReplyDeleteबधाई
ReplyDeletebadhai..
ReplyDeleteCongratulations !!
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