न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Posted by Saurbh Chaturvedi on Sunday, April 19, 2015
बहुत बढ़िया
सुंदर प्रस्तुति
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
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