न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
बहुत प्यारी मायरा!याद आ रहा है कि हम भी बच्चों को ऐसे ही सिखाते थे!
बहुत प्यारी मायरा!
ReplyDeleteयाद आ रहा है कि हम भी बच्चों को ऐसे ही सिखाते थे!