चाहे आये आंधी -तूफ़ान होते दो पल के मेहमान
जब रात ढली है ,तो दिन का निकलना भी तय है। ..
विश्वास की डोर थामे रखती होती वो शक्ती अनजान
उजाले की सिर्फ आस में ही ,अँधेरे से नहीं भय है।...
निडर,और सच्चा ही जग में पाता रहा सदा सम्मान
झूठों और चोरों के मन में हमेशा रहता भय है...
मेहनत करके पेट भरे जो वो होता सच्चा धनवान
परिश्रम पर जिसने किया भरोसा,उसकी सदा जय है।..
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 18 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteNice!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteप्रेरक ....
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