Friday, November 18, 2016

होना तो यही चाहिये..

बेटी को आदत थी घर लौटकर ये बताने की- कि आज का दिन कैसे बीता।

एक बार जब ऑफ़िस से लौटी तो बड़ी खुश लग रही थी । 

चहचहाते हुए घर लौटी थी ..दिल खुश हो जाता है- जब बच्चों को खुश देखती हूँ तो, चेहरा देखते ही पूछा था  मैंने -क्या बात है ?बस ! पूछते ही उसका टेप चालू हो गया-----

- पता है मम्मी आज तो मजा ही आ गया।
-क्या हुआ ऐसा ?
-हुआ यूँ कि जब मैं एक चौराहे पर पहुँची तो लाल बत्ती हो गई थी,मैं रूकी ,मेरे बाजू वाले अंकल भी रूके तभी पीछे से एक लड़का बाईक पर आया और हमारे पीछे हार्न बजाने लगा,मैंने मुड़कर देखा ,जगह नहीं थी फ़िर से थोड़ा झुककर उसे आगे आने दिया ताकि हार्न बन्द हो....
-फ़िर ..
-वो हमसे आगे निकला और लगभग बीच में (क्रासिंग से बहुत आगे) जाकर (औपचारिकतावश) खड़ा हो गया..
- तो इसमें क्या खास बात हो गई ऐसा तो कई लड़के करते हैं - मैंने कहा 

-हाँ,...आगे तो सुनो-- उसने "मैं अन्ना हूँ" वाली टोपी लगा रखी थी ..
-ओह ! फ़िर ?
-तभी सड़क के किनारे से लाठी टेकते हुए एक दादाजी धीरे-धीरे चलकर उस के पास आये और उससे कहा-"बेटा अभी तो लाल बत्ती है ,तुम कितना आगे आकर खड़े हो".
-फ़िर ?
-....उस लड़के ने हँसते हुए मुँह बिचका दिया जैसे कहा हो -हुंह!!
- ह्म्म्म तो ?

-फ़िर वो दादाजी थोड़ा आगे आए ,अपनी लकड़ी बगल में दबाई और दोनों हाथों से उसके सिर पर पहनी टोपी इज्जत से उतार ली ,झटक कर साफ़ की और उससे कहा - इनका नाम क्यों खराब कर रहे हो? और टोपी तह करके अपनी जेब में रख ली........और मैं जोर से चिल्ला उठी -जे SSSS ब्बात........

(मैं भी चिल्ला उठी --वाऊऊऊऊ ) 

हँसते हुए बेटी ने आगे बताया- ये देखकर चौराहे पर खड़े सब लोग हँसने लगे ....इतने में हरी बत्ती भी हो गई..वो लड़का चुपचाप खड़ा रहा ,आगे बढ़ना ही भूल गया..जब हम थोड़े आगे आए तो बाजू वाले अंकल ने उससे कहा- चलो बेटा अब तो ---हरी हो गई.....हा हा हा...

ह्म्म्म होना तो यही चाहिए मुझे भी लगा। 

आज नोटों की अदला-बदली /टी वी पर कतारों में खड़े खुश और दुखी लोग। .... संसद की उठा पटक /सोशल मीडिया पर चल रही क्रान्ति  के बीच ये बात याद आ गई। .... 

बुरा तो स्वत : होते रहता है। प्रयास अच्छा करने के लिए होने चाहिए। 

..लाख नकारात्मक बातों में से एक भी सकारात्मक बात सामने दिखे तो मन को सुकून तो देती ही है। ...

लोगों को ये तो समझ आ ही रहा है कि - गरीब लुटे जाते हैं तो लूट भी सकते हैं। .. सबके दिन एक से नहीं होते। .... 



हमें अपने आप में ही सुधार लाना होगा पहले ....
आपको क्या लगता है ?...


.







4 comments:

  1. वाह...
    सच में आनन्दित हुई
    सादर

    ReplyDelete
  2. हा,यही होना चाहिए।

    ReplyDelete
  3. Each line is so beautiful!

    ReplyDelete
  4. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 24/11/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    ReplyDelete