मास्टरजी ने बच्चों को बुलाया
कक्षा में ये फरमान सुनाया
कल सबको विद्यालय अनिवार्य है आना
साथ में अपने एक हास्य कविता भी लाना
सुन कर मास्टरजी का ये फरमान
बबलू बाबा हो गए हैरान
चिंता से उनका सर भन्नाया
घर जा माँ को मास्टरजी का फरमान सुनाया
बोले - माँ कल जरूर से स्कूल जाना है
और साथ में हास्य कविता को भी ले जाना है
अब हो गई माँ परेशान
जानकर ये बहुत हुई हैरान!
कविता तो मिली ढेर सारी
सूरज ,फूलों,जानवरों वाली
कहीं बन्दर था कहीं था भालू
कहीं कद्दू और कहीं था आलू
तुकबंदी थी,भाष्य नहीं था
कविता मिली पर हास्य नहीं था,
तब माँ ने किया तकनीकी इस्तेमाल
फेसबुक पर स्टेटस ठेला और मंगवाया लिंकित ज्ञान
अब दोनों बैठे टकटकी लगाए
टिपण्णी ताकते,कि कोई कविता-
कविता में हास्य लेकर आए
तभी मिला ये अद्भुत ज्ञान कि
अपनों संग जब समय बिताओ
हास्य से खुद सराबोर हो जाओ
अब बबलू से फूटी हास्य की झड़ी है
और हास्य कविता बबलू के मुंहबाएँ खड़ी है ...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteVery nice post...
ReplyDeleteWelcome to my blog.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-03-2017) को
ReplyDelete"राम-रहमान के लिए तो छोड़ दो मंदिर-मस्जिद" (चर्चा अंक-2611)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर अर्चना जी, जीवन में ही सहज हास्य की कमी हो गई है तो कविता में हास्य कहाँ से आए !
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