Sunday, March 26, 2017

बाल कविता

मास्टरजी ने बच्चों को बुलाया
कक्षा में ये फरमान सुनाया
कल सबको विद्यालय अनिवार्य है आना
साथ में अपने एक हास्य कविता भी लाना
सुन कर मास्टरजी का ये फरमान
बबलू बाबा हो गए हैरान
चिंता से उनका सर भन्नाया
घर जा माँ को मास्टरजी का फरमान सुनाया
बोले - माँ कल जरूर से स्कूल जाना है
और साथ में हास्य कविता को भी ले जाना है
अब हो गई माँ परेशान
जानकर ये बहुत हुई हैरान!
कविता तो मिली ढेर सारी
सूरज ,फूलों,जानवरों वाली
कहीं बन्दर था कहीं था भालू
कहीं कद्दू और कहीं था आलू
तुकबंदी थी,भाष्य नहीं था
कविता मिली पर हास्य नहीं था,
तब माँ ने किया तकनीकी इस्तेमाल
फेसबुक पर स्टेटस ठेला और मंगवाया लिंकित ज्ञान
अब दोनों बैठे टकटकी लगाए
टिपण्णी ताकते,कि कोई कविता-
कविता में  हास्य लेकर आए
तभी मिला ये अद्भुत ज्ञान कि

अपनों संग जब समय बिताओ
हास्य से खुद सराबोर हो जाओ
अब बबलू से फूटी हास्य की झड़ी है
और हास्य कविता बबलू के मुंहबाएँ खड़ी है ...







5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. Very nice post...
    Welcome to my blog.

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-03-2017) को

    "राम-रहमान के लिए तो छोड़ दो मंदिर-मस्जिद" (चर्चा अंक-2611)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत सुंदर अर्चना जी, जीवन में ही सहज हास्य की कमी हो गई है तो कविता में हास्य कहाँ से आए !

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