Friday, March 31, 2017

सृष्टि की रचना और चित्र वैचित्र्य

दो रचनाएं पढ़ी फेसबुक पर पहली वाणी गीत जी की सृष्टि की रचना ...और दूसरी आशीष राय जी की चित्र वैचित्र्य ...
और सहज टिप्पणियां हुई -

ईश्वर ने जब रचा होगा ये संसार
मन रहा होगा उसका निर्विकार
साकार किये जब उसने स्त्री और पुरुष
आया न होगा कोई विषम विचार
न मुग्ध हुआ ,न खिन्न हुआ,पर
किया उसने सुन्दरतम विस्तार...

रचकर ये संसार सिखाया
उसने हमको कर्म
न कोई है - अपना पराया
समझा न कोई मर्म
वाणी का आशीष न देकर
अगर वह रह जाता जो मौन
चित्र वैचित्र्य इतना सुन्दर
हमको दिखलाता फिर कौन ?....

2 comments: