Thursday, April 27, 2017

नाव चली, नानी की नाव चली

एक बहुत कठिन गीत जिसमें सांस लेने की गुंजाईश नहीं। ..... गाने का मन था , गा लिया , ...मायरा जब समझेगी खुश  ही होगी -

 लेखक- हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय
 नाव चली-

No comments:

Post a Comment