गौतम राजऋषि किसी परिचय के मोहताज नहीं। ...
उनके ब्लॉग -पाल ले एक रोग नादाँ से एक कहानी का पॉडकास्ट बड़ी मेहनत के बाद बना पाई हूँ ,.. तकनीकी जानकारी न के बराबर ही है , जो सीखा यहीं ब्लॉग पर सीखा , ..... गलतियां संभव हैं। .. आशा है उन्हें अनदेखा करेंगे। ...
सुनियेगा। .. कहानी बहुत बड़ी है। ..प्रयास किया है हर पात्र को आप महसूस करें ,मैं इसमें कितना सफल हुई ये आपकी प्रतिक्रया ही बताएंगी। ..
कहानी का समय है ४४मिनट १७ सेकण्ड और
शीर्षक है - इक तो सजन मेरे पास नहीं रे ...
(कहानी मासिक हंस के नवंबर 2012 अंक में प्रकाशित हो चुकी है )
(अगर सुन न पा रहे हों -प्लेयर को एक बार सक्रीय करें फिर दुबारा प्ले करें )
उनके ब्लॉग -पाल ले एक रोग नादाँ से एक कहानी का पॉडकास्ट बड़ी मेहनत के बाद बना पाई हूँ ,.. तकनीकी जानकारी न के बराबर ही है , जो सीखा यहीं ब्लॉग पर सीखा , ..... गलतियां संभव हैं। .. आशा है उन्हें अनदेखा करेंगे। ...
सुनियेगा। .. कहानी बहुत बड़ी है। ..प्रयास किया है हर पात्र को आप महसूस करें ,मैं इसमें कितना सफल हुई ये आपकी प्रतिक्रया ही बताएंगी। ..
कहानी का समय है ४४मिनट १७ सेकण्ड और
शीर्षक है - इक तो सजन मेरे पास नहीं रे ...
(कहानी मासिक हंस के नवंबर 2012 अंक में प्रकाशित हो चुकी है )
(अगर सुन न पा रहे हों -प्लेयर को एक बार सक्रीय करें फिर दुबारा प्ले करें )
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरूवार (01-06-2017) को
ReplyDelete"देखो मेरा पागलपन" (चर्चा अंक-2637)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
तुम एक मिसाल हो
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