Sunday, July 11, 2021

जग घूमिया थारे जैसा न कोई

 
बचपन से घर में सब काम किए तो कभी कोई काम करने से परहेज नहीं रहा। 
चाहे गाय - भैंस दुहना हो या उनका गोबर हटाना हो,उपले थापना हो या संजा बनाना हो।
राजदूत चलाकर पिता के साथ खेत जाना हो या भाई के साथ गाड़ी रिपेयरिंग के लिए झुकानी हो। 
पापड़ के गोले के लिए घन चलाना हो या छत पर दौड़ दौड़ कर आलू चिप्स फैलाना हो।
खेलने के लिए सुबह जल्दी उठकर मैदान जाना हो या गुनगुनी दोपहर सिलाई बुनाई करनी हो गप्पे लगाते हुए।

शायद इसलिए मुसीबत आने पर हर पल डटी रही।

ये घमंड वाली बात नहीं, पर मैने समय आने पर हॉस्टल में झाड़ू पोछा भी किया और बच्चों के कपड़े भी धोए,उनके लिए रोटियां भी बेली और उनको नहलाकर तैयार भी किया,उनके साथ खेली भी और उनके हाथपैर दर्द होने और चोट लगने पर पट्टी पानी भी की।


जब मैंने वार्डन का जॉब छोड़ा तो प्रिंसिपल मैडम ने कहा था कि तुम्हारे जैसी कोई और लाकर दे दो ,
मैं यही कह पाई थी कि मेरे जैसी तो कोई न मिलेगी।

8 comments:

  1. 👍👍👍 इतना सब है आपके पास फिर निराशा तो फटकनी भी नहीं चाहिए ।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (13-7-21) को "प्रेम में डूबी स्त्री"(चर्चा अंक 4124) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  3. यह तो माँ का किरदार निभाना हुआ ,जो सन्तान के हित के लिए कुछ करने मे हिचकती नहीं हरएक के बस की बात है ही नहीं.

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  4. संघर्षों से निखरा व्यक्तित्व दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत होता है।
    बेहतरीन अभिव्यक्ति।
    सादर प्रणाम।

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  5. मिल तो सकती है आपके जैसी। और ऐसी एक स्त्री को मैं स्वयं जानता हूं। लेकिन आपके जैसा होना सचमुच ही गौरव की बात है। परिवार हो अथवा समाज अथवा कोई महत्वपूर्ण संस्था, ऐसे ही लोगों के बल पर जीवित रह सकते हैं। इसलिए, शत-शत नमन आपको, असीमित अभिनंदन आपका।

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  6. बहुत बहुत बधाई जीवन को इतनी पूर्णता से जीने का जज़्बा सिखाने के लिए, अवश्य ही वे बच्चे भी आपको भूल नहीं पाएँगे और जीवन में आगे बढ़ेंगे, शुभकामनाएँ!

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  7. संघर्ष बिना जीवन अधूरा हैं

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  8. बेहतरीन.बहुत बहुत बधाई

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