घटनाएँ बन जाती है खबर,
या बना दी जाती है कविता
फ़िर लोगों तक पहुँचती है,
और कुछ ही दिनों में खो जाती है खबर...
लेकिन वो बात, जो होती है उस खबर का हिस्सा,
या बनती है जिस पर कविता
कई दिनों, बल्कि सालों तक करती है असर...
बस ऐसे ही मन हुआ कि कितनी भी बड़ी दुखद खबर हो उस पर कुछ दिनों तक हर कोई व्यथित होता है लेकिन उसके साथ जुड़े लोग उस घटना को बस भूलने की कोशिश करते रहते हैं ...:-(
सुन्दर रचना
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