न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
सुन्दर
सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(28-11-21) को वृद्धावस्था" ( चर्चा अंक 4262) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी . -- कामिनी सिन्हा
सटीक अभिव्यक्ति ।
गहन रचना...
जी हाँ मौन ही है जो मरहम का काम करता है। बहुत बढ़िया ।
सही कहा मौन ही शून्य को परिभाषित भी कर सकता है...।अत्यंत सारगर्भित सृजन।
लाज़वाब सृजन।सादर
शून्य को याद करो तो शून्य ही दिखेगा। 💐
सुन्दर
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(28-11-21) को वृद्धावस्था" ( चर्चा अंक 4262) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
सटीक अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteगहन रचना...
ReplyDeleteजी हाँ मौन ही है जो मरहम का काम करता है। बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteसही कहा मौन ही शून्य को परिभाषित भी कर सकता है...।अत्यंत सारगर्भित सृजन।
ReplyDeleteलाज़वाब सृजन।
ReplyDeleteसादर
शून्य को याद करो तो शून्य ही दिखेगा। 💐
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