ईश्वर ने आपको गुण दिए, वो समय-समय पर उनकी परीक्षा लेता है।ये समय परीक्षा देने का है-धैर्य,संयम,दया,क्षमा,बुद्धि,बल,संतोष,और सहनशक्ति जैसे गुणों के पेपर हो रहे हों जैसे, 😂 में उड़ाना ,मतलब 2 नंबर कटे, समझिए ...
मनन,चिंतन के आनंद से उपजा ज्ञान (कोई बोधि वृक्ष मिला होता तो ...)
कम लिखे को ज्यादा समझियेगा 😂😂😂
-अनवरत चलने वाली कहानी के चरम से एक टुकड़ा
-अर्चना
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"अनमना मन"
अनमनी सी बैठी हूं,
चाहती हूं खूब खिलखिलाकर हंसना
कोशिश भी करती हूं हंसने की
पर आंखें बंद होने पर वो चेहरे दिखते हैं
जिन्हें मेरे साथ खिलखिलाना चाहिए था
अपनी राह में साथ छोड़ बहुत आगे निकल गए वे
और मैं चाहकर भी हंस नहीं पा रही
चाहती हूं इस बारिश के बाद
इंद्रधनुष को देखूं
पर आसमान में काले बादल ही छंट नहीं रहे
सातों रंग अलग न होकर सफेद ही सफेद शेष है
हर तरफ गड़गड़ाहट के बीच चीत्कार गूंजती है
बाहर से न भीग कर भी अंदर तक भीगा है मन
और मैं ताक रही अनमनी सी...
बाहर से न भीग कर भी अंदर तक भीगा है मन
ReplyDeleteऔर मैं ताक रही अनमनी सी...
आंखें बंद होने पर वो चेहरे दिखते हैं
ReplyDeleteजिन्हें मेरे साथ खिलखिलाना चाहिए था
अपनी राह में साथ छोड़ बहुत आगे निकल गए वे...
कुछ आगे निकल जाते हैं, कुछ राह बदल लेते हैं!!!
और अकेले खिलखिलाने में हमें डर लगता है कहीं ना कहीं.... या यूँ कहें कि मजा नहीं आता। कुछ अहसास कइयों के साझे होते हैं ना अर्चना दी ?
भीगना भी ज़रूरी है ..
ReplyDeleteआशा का अंकुर फूट सके,
इसलिए ।
इस अनमनेपन की अनुभूति की संवेदना साझी है ।
आपने फिर से अनुभव करा दी है ।
जिन्हें मेरे साथ खिलखिलाना चाहिए था
ReplyDeleteअपनी राह में साथ छोड़ बहुत आगे निकल गए वे
आपके अनमने मन ने बहुत कुछ कह दिया । बहुत समय बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ ।।
ऐसी अनुभूति भारीपन बन कर मन पर छा जाती है,जो सामने है वहभी अवास्तविक लगने लगता है ,बहुत कठिन क्षण होते हैं ये .
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रसूति
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रसूति
ReplyDeleteThank you
Bahut khub!
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