कुछ दिनों पहले मैंने दिलीप की नन्ही परी के सवाल का जबाब मांगा था मेरी इस पोस्ट में ---------
आज दीपक " मशाल " की भेजी इस कविता के द्वारा एक अजन्मी बच्ची के दर्द को आवाज देने की कोशीश की है ---------------------.दो तरह से प्रयास किया है .......
एक में मैंने महसूस किया था कि जब उसकी माँ अपनी बच्ची से मिलकर उसका हाल पूछती होगी ...तब वो किस तरह से बताती होगी....................
और दूसरे में --------------जब वो कभी अपनी माँ से मिलती होगी......... तो किस तरह से बताती होगी ...................इसे सुनने के बाद आप भी बताए कि आप क्या महसूस करते है .......................
( दीपक " मशाल " जी ने बाद में बताया था वे इसे रंगमंच पर प्रस्तुति के समय प्रयोग करते थे और इसे उनके कई सहयोगियों ने मिलकर लिखा था .....)
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बहुत ही सुन्दर प्रयास, आवाज़ कुछ धीमी है!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रयास,
ReplyDeleteइस कविता को अपने मधुर स्वर से संवारने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार मैम...
ReplyDeleteदीपक भाई के एहसास को आपने मह्सूस किया यही सम्वेदित कलाकार का परिचय है
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