आज फिर एक पुरानी पोस्ट जिसे किसी ने पढ़ा नहीं था ............
ऐसी कोई लाइने नही है मेरे पास,
जिनमे हो कुछ अलग,
या कुछ खास,
पता नही लोग ऐसा क्या लिख देते है,
जिसे पढ़कर सब उन्हें कवि कह देते है,
आज तक नया कुछ नही पढने में आया है,
जो माता -पिता ने बताया -
वही सबने दोहराया है,
शायद इसलिए,
क्योकि जब वे कहते है,
तब समय रहते हम उन्हें नही सुनते है,
उनके "जाने" के बाद,
परिस्तिथियों से लड़कर ,
या डरकर ,
हम उन्हें याद करके,
अपना सिर धुनते है।
मैंने भी उन्हें सुना और उनसे सीखाहै,
और अपने अनुभवों को आधार बना कर फ़िर वही लिखा है ---
१.सदा सच बोलो।
२.सबका आदर करो।
३.बिना पूछे किसी की चीज को मत छुओ।
४.किसी को दुःख मत दो।
५.समय पर अपना काम करो।
६.रोज किसी एक व्यक्ति की मदद करो।
७.अपने हर अच्छे कार्य के लिए ईश्वर को धन्यवाद् दो और बुरे के लिए माफ़ी मांगो।
...सौ आने सही
ReplyDeleteजो माता -पिता ने बताया -
ReplyDeleteवही सबने दोहराया है,
शायद इसलिए,
sari baten 16 ane sach hai...
........Masi ji
उपयोगी सीख!
ReplyDeleteपोस्ट के बहाने बड़ी बात कह दी आपने, सार्थक पोस्ट , .
ReplyDeleteहम इसे नेकदिल पोस्ट कहेंगे !
ReplyDeleteओके जी..ऐसा ही करेंगे.
ReplyDeleteअनुभव अच्छे हैं ...
ReplyDeleteइन्हें पास रखिये .....कविता के शब्द यूँ ही जुड़ते रहेंगे .....!!
bahut badhiya prastuti...
ReplyDeleteसारी बातें महत्वपूर्ण।
ReplyDeleteप्रयास करेंगे कि इन बातों का पालन करें।
ReplyDeleteपहले किसी ने नहीं पढ़ा था, इससे इन बातों का महत्व कतई कम नहीं हुआ, पुनर्प्रस्तुति के लिये धन्यवाद।
100% sach
ReplyDeleteसाधुवाद!
ReplyDeleteविस्मृत नैतिकता, सीख के साथ सदुपयोग।
कवि के ह्रदय से निकले,और पाठक के दिल में समाये, बस हो गई कविता
जानते सब हैं लेकिन मानता कोई नहीं......
ReplyDeleteसारी बातें महत्वपूर्ण।
ReplyDeleteआपके परिजनों ने सारी काम की बातें बताई है
ReplyDeleteअच्छा लगा आपकी भावनाएं पढकर
आपको बधाई
बहुत सुंदर जी, धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट. उपयोगी सीख.
ReplyDeleteSach kahaa aapane
ReplyDeleteपुनर्प्रस्तुति के लिये धन्यवाद। ..
ReplyDeleteye sikh..hi to jindagi hai
ReplyDeleteअर्चना जी ,
ReplyDeleteआपने यह बात सही कही है की जब माता -पिता कहते हैं तब हम ध्यान नहीं देते हैं ...पर बाद में वही बातें याद करते हैं ....अच्छी सीख देती प्रेरणाप्रद
रचना
माधुर्य और सुरीलापन बसा है जिनके कंठों में , उन अर्चना जी को मेरा नमस्कार !
ReplyDeleteसच्चे कलाकार में ही सच्चा इंसान होता है
आपकी पोस्ट से साबित हो रहा है ।
आपने जो कुछ कहा 24 कैरेट शुद्ध !
यानी सौ टके सही !!
बधाई और शुभकामनाएं …
- राजेन्द्र स्वर्णकार