Sunday, October 3, 2010

सही है

कागज बनता है बांस से ,
पानी का मोल है प्यास से,
चुभन होती है -फांस से,
उम्मीद बंधती है -आस से,
जीवन चलता है- साँस से,
जीवन में रस घुलता है -हास से,
कुछ रिश्ते होते है -ख़ास से,
खुशी होती है- अपनों के पास से,
और सम्बन्ध कायम रहते है
-- विश्वास से ।




अगर सुनना चाहे कुछ तो यहाँ सुने कुछ ----

१ ----न् दैन्यं न् पलायनम 

२ ---मिसफिट :सीधीबात 

३ ---आँख का पानी 

४ ---हिन्दी,मराठी,या गुजराती 

५ ---तिरंगा 

६---जगराता 

17 comments:

  1. कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

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  2. विश्वास प्रधान कारक है जीवन का।
    मधुर वाणी, मधुर लेखन।

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  3. बहुत सुंदर जी, मजा आ गया

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  4. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (4/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  5. आप बची रहें हर संत्रास से
    मुश्किले न गुजरे दूर से या पास से
    त्रिज्याएं अलग न हों अपने व्यास से
    आप कभी दूर न हों अपने प्रयास से..

    भर जाएं आप नये अहसास से

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  6. अर्चना जी, हम मुग्ध हैं आपके कविता के उजास से!!

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  7. bahut hi achha...

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  8. अति उत्तम अब लिखते रहिये

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  9. सम्बन्ध कायम रहते हैं विश्वास से ...
    यही विश्वास हर दिल में बना रहे ...
    शुभकामनायें ..!

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  10. बहुत सुंदरता से कही सच्ची बात

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  11. ऐसा तुकबन्दियाँ भी बनती है, खासे प्रयास से...

    जारी रखिये ....

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