कागज बनता है बांस से ,
पानी का मोल है प्यास से,
चुभन होती है -फांस से,
उम्मीद बंधती है -आस से,
जीवन चलता है- साँस से,
जीवन में रस घुलता है -हास से,
कुछ रिश्ते होते है -ख़ास से,
खुशी होती है- अपनों के पास से,
और सम्बन्ध कायम रहते है -- विश्वास से ।
अगर सुनना चाहे कुछ तो यहाँ सुने कुछ ----
१ ----न् दैन्यं न् पलायनम
२ ---मिसफिट :सीधीबात
३ ---आँख का पानी
४ ---हिन्दी,मराठी,या गुजराती
५ ---तिरंगा
६---जगराता
अरे वाह क्या बात है , आनंद आ गया जी बस :)
ReplyDeleteवो कहते नहीं तो क्या हुआ ....आइये उन्हें सम्मान देने का एक बेहद छोटा सा प्रयास करते हैं
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
ReplyDeleteविश्वास प्रधान कारक है जीवन का।
ReplyDeleteमधुर वाणी, मधुर लेखन।
बहुत सुंदर जी, मजा आ गया
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (4/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
आप बची रहें हर संत्रास से
ReplyDeleteमुश्किले न गुजरे दूर से या पास से
त्रिज्याएं अलग न हों अपने व्यास से
आप कभी दूर न हों अपने प्रयास से..
भर जाएं आप नये अहसास से
सुन्दर कविता
ReplyDeleteअर्चना जी, हम मुग्ध हैं आपके कविता के उजास से!!
ReplyDeletebahut hi achha...
ReplyDeleteअति उत्तम अब लिखते रहिये
ReplyDeleteसही है !
ReplyDeleteसम्बन्ध कायम रहते हैं विश्वास से ...
ReplyDeleteयही विश्वास हर दिल में बना रहे ...
शुभकामनायें ..!
बहुत सुंदरता से कही सच्ची बात
ReplyDeleteबहुत उपयोगी और सटीक!
ReplyDeleteऐसा तुकबन्दियाँ भी बनती है, खासे प्रयास से...
ReplyDeleteजारी रखिये ....
bahut badiya
ReplyDeleteबिलकुल सच कहा.
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