न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
सोने के आभूषण पहने धान की बाली , सुंदर गीत
बहुत सुन्दर गीत।
प्रकृति के मध्य बैठकर लिखी गई कविता और रिश्तों को ख़ूबसूरती से टाँकी गई कविता की चादर और उसपर आपके स्वर का माधूर्य.. समाँ बँध गया!!
बहुत सुन्दर रचना और आपकी आवाज के तो हम दीवाने हैं !
sundar geet ke sath sundar aawaj sunne ko milti har baar,bahut badiya
... bahut badhiyaa !
behtreen aavaj.....
ओह मैं आनंद नहीं ले पाया मेरा सिस्टम कुछ नाराज़ सा है
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ओह बेहतरीन गीत चुनाउपमाएं शब्द और प्रवाह गेय हैगायक के लिये जो गेय वो काम का गीत
आनन्दम...अति सुन्दर ...वाह!!
सोने के आभूषण पहने धान की बाली , सुंदर गीत
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत।
ReplyDeleteप्रकृति के मध्य बैठकर लिखी गई कविता और रिश्तों को ख़ूबसूरती से टाँकी गई कविता की चादर और उसपर आपके स्वर का माधूर्य.. समाँ बँध गया!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना और आपकी आवाज के तो हम दीवाने हैं !
ReplyDeletesundar geet ke sath sundar aawaj sunne ko milti har baar,
ReplyDeletebahut badiya
... bahut badhiyaa !
ReplyDeletebehtreen aavaj.....
ReplyDeleteओह मैं आनंद नहीं ले पाया मेरा सिस्टम कुछ नाराज़ सा है
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ReplyDeleteओह बेहतरीन गीत चुना
ReplyDeleteउपमाएं शब्द और प्रवाह
गेय है
गायक के लिये जो गेय वो काम का गीत
आनन्दम...अति सुन्दर ...वाह!!
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