Tuesday, November 16, 2010

तारों भरे कटोरे से ....दो घूँट चाँदनी....



सुनिये---- एक गीत       
आज फ़िर  राकेश खंडेलवाल जी का...
दो घूँट चाँदनी-----



 मिसफ़िट-सीधीबात पर सुनिये एक व्यंग रचना
 और यहाँ कर्मनाशा की एक पोस्ट----

11 comments:

  1. सोने के आभूषण पहने धान की बाली , सुंदर गीत

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  2. प्रकृति के मध्य बैठकर लिखी गई कविता और रिश्तों को ख़ूबसूरती से टाँकी गई कविता की चादर और उसपर आपके स्वर का माधूर्य.. समाँ बँध गया!!

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  3. बहुत सुन्दर रचना और आपकी आवाज के तो हम दीवाने हैं !

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  4. sundar geet ke sath sundar aawaj sunne ko milti har baar,

    bahut badiya

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  5. ओह मैं आनंद नहीं ले पाया मेरा सिस्टम कुछ नाराज़ सा है

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  7. ओह बेहतरीन गीत चुना
    उपमाएं शब्द और प्रवाह
    गेय है
    गायक के लिये जो गेय वो काम का गीत

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  8. आनन्दम...अति सुन्दर ...वाह!!

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