Tuesday, November 16, 2010

तारों भरे कटोरे से ....दो घूँट चाँदनी....



सुनिये---- एक गीत       
आज फ़िर  राकेश खंडेलवाल जी का...
दो घूँट चाँदनी-----



 मिसफ़िट-सीधीबात पर सुनिये एक व्यंग रचना
 और यहाँ कर्मनाशा की एक पोस्ट----

11 comments:

Sunil Kumar said...

सोने के आभूषण पहने धान की बाली , सुंदर गीत

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर गीत।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

प्रकृति के मध्य बैठकर लिखी गई कविता और रिश्तों को ख़ूबसूरती से टाँकी गई कविता की चादर और उसपर आपके स्वर का माधूर्य.. समाँ बँध गया!!

राम त्यागी said...

बहुत सुन्दर रचना और आपकी आवाज के तो हम दीवाने हैं !

संजय कुमार चौरसिया said...

sundar geet ke sath sundar aawaj sunne ko milti har baar,

bahut badiya

कडुवासच said...

... bahut badhiyaa !

संजय भास्‍कर said...

behtreen aavaj.....

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

ओह मैं आनंद नहीं ले पाया मेरा सिस्टम कुछ नाराज़ सा है

Girish Billore Mukul said...
This comment has been removed by the author.
Girish Billore Mukul said...

ओह बेहतरीन गीत चुना
उपमाएं शब्द और प्रवाह
गेय है
गायक के लिये जो गेय वो काम का गीत

Udan Tashtari said...

आनन्दम...अति सुन्दर ...वाह!!