Friday, January 21, 2011

पाठ याद नहीं हुआ...

लम्बा लेख या लम्बी कहानी पढ़ने से हमेशा से परहेज रहा है मुझे,खुद भी ज्यादा लम्बा लिख नहीं पाती....अगर लिखा भी होगा तो वही जिसे किसी को पढ़वाना नहीं चाहती।

"गीता" भी नहीं पढ़ी... बस पढ़ा तो "गीता-सार".....जिसे समझने में "अर्जुन की आँख और मछली" की कहानी याद आई,और युधिष्ठिर की भी--जिसमें वे कहते रहे पाठ याद नहीं  हुआ।.....

8 comments:

  1. सार में ही तत्व छिपा है।

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  2. चलो, कम से कम सार समझने का प्रयास तो है वरना कई तो उसे भी सरसरी तौर पर देख कर निकल लेते हैं.

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  3. सार से तो मतलब रहना चाहिए ...

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  4. हम भी इसी राह के हमराही है ...:)

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  5. जीवन में जिसने सार का महत्त्व समझ लिया उसने सब कुछ समझ लिया..

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  6. अगर 'सार' समझ लिया तो सब कुछ समझ लिया. महत्वपूर्ण सार ही है.

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  7. चाहते तो हम भी यही हैं, लेकिन थोड़े में अपना काम नहीं चलता:)

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