Saturday, January 22, 2011

एक -----(बीप) से प्रेरणा --

आगे बढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है ,
रत्न गढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है,
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे  -- " "जहां" तुम्हारा है" ?




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9 comments:

  1. तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
    कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
    ......ला-जवाब" जबर्दस्त!!

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  2. तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
    कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?

    बहुत सुन्दर....

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  3. सार्थक रचना !

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  4. अति सुंदर जी धन्यवाद

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  5. कहा है ????????????????

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  6. हमारा सवाल - ’कहाँ’ हमारा है?

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