आगे बढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है ,
रत्न गढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है,
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
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रत्न गढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है,
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
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bahut achchi baat kahi aapne
ReplyDeleteतन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
ReplyDeleteकि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
......ला-जवाब" जबर्दस्त!!
बहुत खूब, दमदार।
ReplyDeleteतन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
ReplyDeleteकि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
बहुत सुन्दर....
nice and meaningful lines.
ReplyDeleteसार्थक रचना !
ReplyDeleteअति सुंदर जी धन्यवाद
ReplyDeleteकहा है ????????????????
ReplyDeleteहमारा सवाल - ’कहाँ’ हमारा है?
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