न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
अब अनबन ही सही..मगर पढ़ लिया. :)
मै तो बस लिख देती हूँ "मेरे मन की",बहुत सुंदर ..... हाँ पढ़कर ही कुछ कहेंगें ... पर अनबन न होगी...
मन की लिखी शायद इस अनबन को कम भी कर दे.
मन की बातें जब शब्द बने तब कविता.
anban ka adhhar ek disha deta hai ...pareshani kis baat ki
वैसे अनबन की बात सटीक कही है ..क्यों की मुझे लगता है की यह बात आपने अपने हमसफ़र के लिए कही है :):)
आपके मन की कविता पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए .
अब अनबन ही सही..मगर पढ़ लिया
जब तक पढेंगे नहीं तो मन की बात समझेंगे कैसे..और प्यार में अनबन तो होती ही रहती है..बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
बन ठन कर अनबन भी निकली।
NAHI PADHA MAINE...........SACH ME..........
अनबन से क्या डरना यह तो दिनचर्या है हर दिन की
Bahaut acchaa likha hai
अब अनबन ही सही..मगर पढ़ लिया. :)
ReplyDeleteमै तो बस लिख देती हूँ "मेरे मन की",
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..... हाँ पढ़कर ही कुछ कहेंगें ... पर अनबन न होगी...
मन की लिखी शायद इस अनबन को कम भी कर दे.
ReplyDeleteमन की बातें जब शब्द बने तब कविता.
ReplyDeleteanban ka adhhar ek disha deta hai ...pareshani kis baat ki
ReplyDeleteवैसे अनबन की बात सटीक कही है ..
ReplyDeleteक्यों की मुझे लगता है की यह बात आपने अपने हमसफ़र के लिए कही है :):)
आपके मन की कविता पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteसुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए .
ReplyDeleteअब अनबन ही सही..मगर पढ़ लिया
ReplyDeleteजब तक पढेंगे नहीं तो मन की बात समझेंगे कैसे..और प्यार में अनबन तो होती ही रहती है..बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
ReplyDeleteबन ठन कर अनबन भी निकली।
ReplyDeleteNAHI PADHA MAINE......
ReplyDelete.....SACH ME..........
अनबन से क्या डरना यह तो दिनचर्या है हर दिन की
ReplyDeleteBahaut acchaa likha hai
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