जब देखो तब मास्टरनी..मास्टरनी.....ऐसा मैनें क्या सीखा दिया? ..जरा बताना तो.!!...मैनें उसे डाँटते हुए कहा।
सॉरी ..मास्टरनी......फ़िर एक बार कह दिया उसने ....
सुनते ही अपने चेहरे की मुस्कुराहट को नहीं रोक पाई थी मैं...और वो नहीं देख पाया था ----मेरी आँखों को मुस्कुराते हुए---- जिसे मैं दिखाना चाहती थी.... मेरा (एक्स) बेस्ट फ़्रेंड...
जब देखो तब मास्टरनी..मास्टरनी.....ऐसा मैनें क्या सीखा दिया? ..जरा बताना तो.!!...मैनें उसे डाँटते हुए कहा।
सॉरी ..मास्टरनी......फ़िर एक बार कह दिया उसने ....
सुनते ही अपने चेहरे की मुस्कुराहट को नहीं रोक पाई थी मैं....और उसने देख लिया था मेरी आँखों की मुस्कुराहट के पीछे छुपे दर्द को---- जिसे मैं छुपाना चाहती थी.... मेरा बेस्ट फ़्रेंड....
लम्हे गुजरे....वक्त बीता.....आज हर कोई पुकारता है --मास्टरनी... मास्टरनी....हालांकि चेहेरे पर मुस्कुराहट तो आज भी आ जाती है पर पत्थर हो चुकी आँखों के पीछे छुपा दर्द कोई देख नहीं पाता...पानी बन बह जाता है
.....याद आता है बहुत .....मेरा बेस्ट फ़्रेंड .....
कण कण व्यापी चंद्र-रश्मियां हमने भी कुछ याद किया
ReplyDeleteएक बार फ़िर प्रियतम का नज़दीकी एहसास हुआ..!!
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्दों के बीच यादें ...।
ReplyDeleteओह …………कुछ यादे कभी नही भुलाई जा सकतीं।
ReplyDeleteबढ़िया अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteएक अलग ही भाव है यह।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण...
ReplyDeleteयादों को संभाल कर रखे बहुत काम आती है तन्हाई में , सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई
ReplyDeleteबहुत ही उत्तम भावों की प्रस्तुति।
ReplyDeleteकुछ लोग ज़िन्दगी पर एक स्थाई छाप छोड़ जाते हैं किसी तरह से..
ReplyDeleteजैसे आपके दोस्त ने आपको निक नेम दे कर किया..
बस यादें ही हैं जो रह जाती हैं..
लोग बस आगे बढ़ जाते हैं..
सुंदर अभिव्यक्ति.....बधाई
ReplyDeleteकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteकाव्यमय और भावयुक्त
ReplyDeleteनो कमेंट....
ReplyDeleteयादों की छोटी सी पोटली... सुन्दर आख्यान.
ReplyDeleteभावुक करती प्रस्तुति!
ReplyDeleteyade aati hai..
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