न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
गीत को स्वर देने के लिए आभार। बहुत सुंदर।
आपको सपरिवार होली की शुभकामनायें ...
बेचैन आत्मा जी की कविता सुनकर आत्मा तृप्त हुयी!!
बहुत सुंदर सुमधुर गायन अर्चना जी ...!!
लता दी :D
geet aur aapki aawaaz... made for each other lag rahe hai...
गीत का आडियो कहाँ गया?
गीत को स्वर देने के लिए आभार। बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की शुभकामनायें ...
ReplyDeleteबेचैन आत्मा जी की कविता सुनकर आत्मा तृप्त हुयी!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर सुमधुर गायन अर्चना जी ...!!
ReplyDeleteलता दी :D
ReplyDeletegeet aur aapki aawaaz... made for each other lag rahe hai...
ReplyDeleteगीत का आडियो कहाँ गया?
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