आपका मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ, कि आपने मेरी कविता को अपनी बेहतरीन आवाज में पेश किया. मेरी कविता में छुपे हुए भावो को स्वर मिल गया . इसके लिये मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.
प्रस्तुति अच्छी है। कविताओं में प्रायः,रूहानी प्रेम के कसीदे गढ़े जाते हैं,जिनमें से अधिकतर अनुभवजन्य होते ही नहीं। जिस्मानी प्रेम को मुखरता से व्यक्त करने को स्थूल प्रेम कहकर हिकारत की नज़र से देखा जाता है। मगर,यहां कवि ने उसे उभरने दिया है। यही वास्तविक है।
हर प्रयास मन की गाठें खोलता जाता है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteअर्चना जी ,
ReplyDeleteआपका मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ, कि आपने मेरी कविता को अपनी बेहतरीन आवाज में पेश किया. मेरी कविता में छुपे हुए भावो को स्वर मिल गया . इसके लिये मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.
धन्यवाद.
विजय
जितनी खूबसूरती से कविता में भावनाओं को अभिव्यक्त किया गया है, उतनी सुंदरता से वह आवाज़ में भी निखर कर प्रकट हुई है!!
ReplyDeleteप्रस्तुति अच्छी है। कविताओं में प्रायः,रूहानी प्रेम के कसीदे गढ़े जाते हैं,जिनमें से अधिकतर अनुभवजन्य होते ही नहीं। जिस्मानी प्रेम को मुखरता से व्यक्त करने को स्थूल प्रेम कहकर हिकारत की नज़र से देखा जाता है। मगर,यहां कवि ने उसे उभरने दिया है। यही वास्तविक है।
ReplyDeleteAabhar aap sabka...
ReplyDelete... बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteनव संवत्सर की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।