जब भावनाओं के सागर में डूबूं उतरूँ
शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ
अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ
क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ
दिल बोले अब कहाँ जाउँ
मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ?
क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ?
किसे खोऊँ?,किसे पाऊँ?
शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ
अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ
क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ
दिल बोले अब कहाँ जाउँ
मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ?
क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ?
किसे खोऊँ?,किसे पाऊँ?
-अर्चना
सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteशायद इसी को आत्ममंथन कहते हैं
ReplyDeleteसुन्दर
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteहैल्थ इज वैल्थपर पधारेँ।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
:) sabko rakho apne saath...
ReplyDeletekyunki sab chahte tumhara saath:)
वाह ! सुन्दर
ReplyDeleteगीत गाने वाले कंठ से जब इतनी गहरी अभिव्यक्ति कविता के माध्यम से प्रस्फुटित होती है तब लगता है कि कहाँ छिपाए रखा था ये सब!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
सबको सब कुछ पाना है,
ReplyDeleteजीवन यहीं निभाना है।
beautiful expression of emotions.
ReplyDeletelost and found.......
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ की सलाह याद रखना या फिर यह ब्लॉग बुलेटिन पढ़ लेना
sundar panktiyan
ReplyDeleteसुंदर भाव । सुंदर रचना ।
ReplyDeleteshabd sanyojan ati sundar...badhiya
ReplyDeleteसवालों के जंगल का नाम ही जीवन है...बढ़िया अभिव्यक्ति!
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