न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति .. आभार
खुबसूरत आवाज़ के साथ आगाज़ और सुन्दर स्वर लहरी ....
बहुत बहुत आभार आपका|
वाह ... क्या बात है ...
सच कहा है आपने, संजयजी की हर पोस्ट अपनी सी लगती है..
बढ़िया लगा इसे आपकी आवाज में सुनना
अति सुंदर....पोस्ट के बाद का गीत भी प्रभावी है.
हर आदमी अपने भीतर एक मुक़म्मल दुनिया समेटे रहता है. वह दुनिया उसकी अपनी होती भी है,नहीं भी.
very nice and calm voice ...heavenly
अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति .. आभार
ReplyDeleteखुबसूरत आवाज़ के साथ आगाज़ और सुन्दर स्वर लहरी ....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका|
ReplyDeleteवाह ... क्या बात है ...
ReplyDeleteसच कहा है आपने, संजयजी की हर पोस्ट अपनी सी लगती है..
ReplyDeleteबढ़िया लगा इसे आपकी आवाज में सुनना
ReplyDeleteअति सुंदर....
ReplyDeleteपोस्ट के बाद का गीत भी प्रभावी है.
हर आदमी अपने भीतर एक मुक़म्मल दुनिया समेटे रहता है. वह दुनिया उसकी अपनी होती भी है,नहीं भी.
ReplyDeletevery nice and calm voice ...heavenly
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