Saturday, June 30, 2012

अपनापन - एक कहानी



कहानी -- अपनापन  
लेखिका -- रचना बजाज
पॉडकास्ट-- अर्चना चावजी





इस कहानी और कई सारी अन्य कहानियों को  आप रेडियो प्लेबैक इंडिया पर  "बोलती कहानी"
कार्यक्रम के अन्तर्गत सुन सकते हैं 

9 comments:

  1. कहानी का शीर्षक अपनापन कुछ हद तक दुख दे गया ..हम रिश्तों को जियें .न की रिसतों को जियें .
    कहानी अपनों की लेकिन सही के अपनों से अलग कहानी कहती ..
    जितना सुन्दर मेरी बहन गातीं हैं उससे भी सुन्दर मेरी बहन कहानी सुना जाती हैं ...

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  2. बड़ी ही मार्मिक कहानी, अपनापन खून से भी अधिक दिल से होता है..

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  3. पढ़ी थी यह कहानी...आज सुन कर फिर आँख भर आई...

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  4. मार्मिक कहानी....

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  5. बेहद मार्मिक

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  6. आपका प्रस्‍तुतिकरण नि:सन्‍देह अनुपम है भावमय करती प्रस्‍तुति ..आभार

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  7. badi hi marmik kahani magar yahi aaj ka sach hai. apne pan ke rishte hamesha khoon ke rishton se badhkar hi hote hain.

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  8. फिर फिर सुनना अच्छा लगा, शुभकामनायें!

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  9. आपके द्वारा यह लाजवाब प्रस्तुति जिसे पढ़ हम सराबोर हुए अब गुलशन-ए-महफ़िल बन आवाम को भी लुभाएगी | आप भी आयें और अपनी पोस्ट को (बृहस्पतिवार, ३० मई, २०१3) को प्रस्तुत होने वाली - मेरी पहली हलचल - की शोभा बढ़ाते देखिये | आपका स्वागत है अपने विचार व्यक्त करने के लिए और अपना स्नेह और आशीर्वाद प्रदान करने के लिए | आइये आप, मैं और हम सब मिलकर नए लिंकस को पढ़ें हलचल मचाएं | आभार

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