ऐ सफेद फूलों और
इतराने वाली गुलाबी कलियों!
देख लिया है शायद
तुमने मेरे साजन को
तभी मुस्कुरा उठी हो
शरमा भी रही हो
मुझे चिढ़ाते हुए
पर जानती हूँ
ये सिर्फ़
सूरज की शह पर ही
कर पाते हो तुम
वो भी एक दिन के लिए.
मेरा भी सवेरा होगा
जब चाँद लेकर आयेगा
तुम जैसी सफ़ेद चाँदनी
और गुलाबी प्यार
और तब तुम देखोगे
मुझे खिली-खिली सी
मुस्कुराते हुए
हमेशा के लिए....
इतराने वाली गुलाबी कलियों!
देख लिया है शायद
तुमने मेरे साजन को
तभी मुस्कुरा उठी हो
शरमा भी रही हो
मुझे चिढ़ाते हुए
पर जानती हूँ
ये सिर्फ़
सूरज की शह पर ही
कर पाते हो तुम
वो भी एक दिन के लिए.
मेरा भी सवेरा होगा
जब चाँद लेकर आयेगा
तुम जैसी सफ़ेद चाँदनी
और गुलाबी प्यार
और तब तुम देखोगे
मुझे खिली-खिली सी
मुस्कुराते हुए
हमेशा के लिए....
Very nice....
ReplyDeleteपर जानती हूँ
ReplyDeleteये सिर्फ़
सूरज की शह पर ही
कर पाते हो तुम
वो भी एक दिन के लिए.
मेरा भी सवेरा होगा
जब चाँद लेकर आयेगा
तुम जैसी सफ़ेद चाँदनी
बहुत खुबसूरत ख्वाहिश .दिल को छू लेने वाली
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत शब्दों और भावों को पिरोया इस रचना में, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत उम्दा भावों की खूबसूरत प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteअर्चना जी बधाई,,,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
ReplyDeleteभीनी-भीनी सी अभिव्यक्ति .........
ये मुस्कराहट हूँ ही कयाम रहें
ReplyDeleteविश्वास जगाते भाव हैं।
ReplyDeleteप्यारी है कविता. आखिर की चार लाइनें बहुत खूबसूरत हैं.
ReplyDeleteविश्वास बना रहे!
ReplyDelete..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....!!
ReplyDeleteनिश्चय ही ये रंग स्मृतियों को मोहक बना देते हैं।
ReplyDelete