Saturday, February 16, 2013

सूरज की शह पर...


ऐ सफेद फूलों और
इतराने वाली गुलाबी कलियों!
देख लिया है शायद
तुमने मेरे साजन को
तभी मुस्कुरा उठी हो
शरमा भी रही हो
मुझे चिढ़ाते हुए
पर जानती हूँ
ये सिर्फ़
सूरज की शह पर ही
कर पाते हो तुम
वो भी एक दिन के लिए.
मेरा भी सवेरा होगा
जब चाँद लेकर आयेगा
तुम जैसी सफ़ेद चाँदनी
और गुलाबी प्यार
और तब तुम देखोगे
मुझे खिली-खिली सी
मुस्कुराते हुए
हमेशा के लिए....

12 comments:

  1. पर जानती हूँ
    ये सिर्फ़
    सूरज की शह पर ही
    कर पाते हो तुम
    वो भी एक दिन के लिए.
    मेरा भी सवेरा होगा
    जब चाँद लेकर आयेगा
    तुम जैसी सफ़ेद चाँदनी

    बहुत खुबसूरत ख्वाहिश .दिल को छू लेने वाली

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  2. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  3. बहुत ही खूबसूरत शब्दों और भावों को पिरोया इस रचना में, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  4. बहुत उम्दा भावों की खूबसूरत प्रस्तुति,,,
    अर्चना जी बधाई,,,,,

    recent post: बसंती रंग छा गया

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  5. भीनी-भीनी सी अभिव्यक्ति .........

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  6. ये मुस्कराहट हूँ ही कयाम रहें

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  7. विश्वास जगाते भाव हैं।

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  8. प्यारी है कविता. आखिर की चार लाइनें बहुत खूबसूरत हैं.

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  9. ..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....!!

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  10. निश्चय ही ये रंग स्मृतियों को मोहक बना देते हैं।

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