Wednesday, March 13, 2013

जिसने विश्व रचा है उसने ...

अहसासों को कलम में उतारना आसां तो नहीं है
मगर कलम को बोलते सुनना अच्छा लगता है ...
 
आज कलम बोल रही है शीष राय जी की --
 

रात:, संध्या, सूर्य, न्द्रमा, भूधर, सिन्धू, नदी, नाला
जल, थल, नभ क्या है? न जानता वर्षा, आंधी, हिम ज्वाला

विश्व नियंता कभी न देखा, पर इतना कह सकता हू
जिसने विश्व रचा है उसने , प्रथम बनाई बशाला...
आप सुनिये यहाँ ---

11 comments:

  1. आपकी यह प्रविष्टि कल के चर्चा मंच पर है
    धन्यवाद

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  2. धन्यवाद , मेरी साधारण सी कविता आपके काठ से गुजरकर अद्भुत लगी .

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  3. Jaisi sundar Rachna vaise hi sundar swar

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  4. कविता पहले पढ़ चुका था, सुनकर अनुष्ठान पूर्ण हुआ।

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  5. कमाल करती हैं आप भी .... बहुत सुंदर

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  6. भावपूर्ण कृति ....भावपूर्ण स्वर .....!!

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  7. बहुत ही भावपूर्ण रचना.

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  8. क्या बात... बहुत सुन्दर.

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  9. छा गयी बधशाला....अब प्रकाशित करवा डालो आशीष :)

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