न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे,
न ही किसी कविता के,
और न किसी कहानी या लेख को मै जानती,
बस जब भी और जो भी दिल मे आता है,
लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Tuesday, March 5, 2013
दिमाग है आपके पास? तो सोचो! सोचो...
अभी तो कुछ लिखा ही नहीं है इस लड़के ने ...कहता है फिर कभी लिखेगा ... जाने कब लिखेगा और क्या लिखेगा भगवान ही जाने ! ... :-) मैं तो सोच रही हूँ ये जब लिखेगा - वो दिन कैसा होगा ?
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteवाह, ब्ल़ॉग के साथ गाना है..
ReplyDeleteवाह! अब इसको सुनते हुये दफ़्तर के लिये तैयार होते हैं। जैसे गाना सुनते हुये लोग काम करते हैं। आनन्द दायक आवाज!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत,आभार.
ReplyDeleteशुक्रिया अर्चना जी मेरी पोस्ट को अपनी आवाज़ देने का | I am happy :) :) :)
ReplyDeleteऔर ऑडियो मुझे बहुत शानदार लगा !!!!