कविता और गीत की एक आत्मा होती है। पद्य जिसे गाकर शब्दों का आनंद लिया जा सके लेकिन इन खुबसूरत शब्दों को मिलनेवाले आवाज इनके अर्थ को चार चाँद ही नहीं लगाते बल्कि अमर कर जाते है . *****लता मंगेशकर ने गाया *ऐ मेरे वतन के लोगों * और गीत ? सुन्दर बोल उस पर सुन्दर आवाज बधाई नहीं कहूँगा ना इंसाफी हो जायेगी ....सुकून के साथ फिर सुनूंगा ...
अपनी आवाज़ से इन कविताओं को सुशोभित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! यह मेरे लिए आपका अनमोल आशीर्वाद है… सादर, अंजना
ReplyDeleteसुन्दर रचना, सुन्दर पाठन..नगरों का अपना व्यक्तित्व होता है..याद आना स्वाभाविक ही है।
ReplyDeleteबुआ...ये आपका कमाल है :)
ReplyDeleteकविता और गीत की एक आत्मा होती है। पद्य जिसे गाकर शब्दों का आनंद लिया जा सके लेकिन इन खुबसूरत शब्दों को मिलनेवाले आवाज इनके अर्थ को चार चाँद ही नहीं लगाते बल्कि अमर कर जाते है . *****लता मंगेशकर ने गाया *ऐ मेरे वतन के लोगों * और गीत ? सुन्दर बोल उस पर सुन्दर आवाज बधाई नहीं कहूँगा ना इंसाफी हो जायेगी ....सुकून के साथ फिर सुनूंगा ...
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