Saturday, November 30, 2013

सुबह ...


1
नई सुबह के नए सपने
उग आते है सूरज के साथ
दिन भर देकर अपनी खुशबू
फिर झड जाते शाम के साथ
रात की काली चादर बिछा
सितारे उनको फिर सहलाते
चाँद की प्यारी पप्पी पाकर
सूरज संग वो उग आते ....
-अर्चना


2
सुबह होने को है ,
एक सपना टूटा
एक अपना
पीछे छूटा
आता ही होगा सूरज
लेकर धूप
और ज्यादा झुलसाने को
लेकिन उजाले की किरण
भर देगी लगन
उम्मीद के आँगन में
हम जुट जायेंगे
नए सपने को तलाशने
दिन के उजाले में
रात के चैन के लिए
भूलकर टूटे सपने का गम
उठें कि
सुबह होने को है...
-अर्चना

6 comments:

  1. वाह.....
    चाँद की प्यारी पप्पी....
    बहुत सुन्दर रचना :-)

    सादर
    अनु

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  2. Jab subah itni pyari ho tab jakar lagta hai GOOD Morning huyi!!
    B-)

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  3. हर दिन लगे नये जीवन सा,
    रात्रि स्वप्न की प्रीति पिरोती,
    ऊर्जा पूरी, स्वप्न भरे मन,
    ऊषा मन उत्साह भिगोती।

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  4. लेकिन उजाले की किरण
    भर देगी लगन
    उम्मीद के आँगन में
    हम जुट जायेंगे
    नए सपने को तलाशने
    दिन के उजाले में

    बहुत सुंदर पंक्तियाँ ! आस जगाती रोशनी दिखाती बहुत खूबसूरत रचना !

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