Tuesday, December 10, 2013

मन है कि मानता नहीं ....

 कभी-कभी मन किसी जगह/ बात/ रचना पर जाकर ऐसे फ़ँस जाता है कि बार -बार कोशिश करने पर भी लौट नहीं पाता वहाँ से, ऐसी की एक रचना रवि शंकर जी के इस ब्लॉग पर देखी ...तबियत कुछ ठीक नहीं चल रही कुछ दिनों से गाना तो वैसे भी नहीं आता पर इस शौक ने जान निकाल रखी है , फ़िलहाल साँस भी फ़ूल रही है , पर मन है कि मानता नहीं ...
वैसे भी कौन हम गायिका हैं जो झेंपे ऐसा-वैसा गाने से .... हम तो बस "रमती जोगिन" हैं सो ले आई हूं इस गीत को  आपके लिए ......
अब सुनिये .....



इनके  ब्लॉग का नाम है -  वो मुझमें तेरा हिस्सा सा.... 




5 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति।
    आज 11-12-13 का सुखद संयोंग है।
    सुप्रभात...।
    आपका बुधवार मंगलकारी हो।

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  2. Ashesh dhanyavaad aapko is saadharan rachna ko vishist karne k liye...


    Naman!!

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  3. मेरे अनुज की रचना मेरी अनुजा के स्वर में!!

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