Tuesday, September 9, 2014

पहन फ़कीरों जैसे कपड़े .... "मेरे गीत"

बहुत समय पहले की बात है , मैंने एक ब्लॉग पर एक अधूरी सी लाईन पढ़ी थी - वह शक्ति हमें दो दयानिधे......
और मुझे प्रार्थना याद आ गई जो हम घर में मिलकर रोज गाते थे , कठिन समय में जब ईश्वर से धैर्य मांगना होता था तब .... मैंने गाई और " मिसफ़िट सीधी बात" पर पोस्ट भी की .. ये है प्रार्थना ---
वह शक्ति हमें दो दया निधान......



फ़िर ये गीत

दर्द दिया है तुमने मुझको.........



 .. और फ़िर ये .... इसकी लिंक खोजने पर अभी नहीं मिल सकी ......  लेकिन मुझे ये पसन्द है ...

 बड़ी भयानक शक्ल छिपाए रचते...

 



 आप में से कितनों ने पहले सुना, नहीं पता .....कितनों ने नहीं सुना ,वो भी नहीं पता ....और कितनोंने सुनकर अनसुना कर दिया वो तो बिलकुल भी नहीं पता ....
पर आज सतीश जी से बिना पूछे अपने ब्लॉग पर सहेज लिए .....

7 comments:

  1. आभारी हूँ आपके स्नेह के लिए , आपको कभी पूंछने की आवश्यकता नहीं
    मंगलकामनाये आपको

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  2. बहुत अच्छा किया आपने ,ये प्रार्थना हमारे यहाँ भी रोज़ होती थी.
    सबको सुलभ करवाने के लिए आभार !

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  3. kafi khubsurti se aapne saheza....sabhi suni..sarthak koshish...

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  4. http://satish-saxena.blogspot.in/2010/07/blog-post_14.html

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  5. http://satish-saxena.blogspot.in/2010/08/blog-post_19.html

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  6. आदरणीय सतीश जी की कविताएं तो पढ़ती ही रहती हूँ ।वे बड़े सहृदय रचनाकार हैं । आपकी आवाज में सुनना भी अच्छा लगा ।

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