Friday, July 21, 2017

याद तुम्हारी

"अगर उसने कुछ सोचा होगा तो
मुझे भी सोचा होगा
हल्के-हल्के हाथों से फिर,
अपनी आँखों को पोंछा भी होगा
देख उँगली पर अटकी बूँद-
एक हल्की सी मुस्कुराती लकीर,
उसके होंठो को छूकर गुज़री होगी
और झटक दिया होगा सिर कि -
ये यादों का लोचा होगा ......."
.-अर्चना चावजी

13 comments:

  1. यादों का लोचा...???

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  2. यादों का लोचा अच्छा है।

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  3. ये यादों का लोचा आपने बेहद सटीक ढंग से प्रयोग किया, बहुत शुभकामनाएं.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  4. सुन्दर शब्दशिल्प और भावों की मोहक अभिव्यक्ति। भावों का घनत्व शब्दों की संख्या से बेपरवाह होता है। दिल में यादों के समुन्दर से एहसासों की मौजें उठती हैं और आँखों से छलक पड़ती हैं। आपको बधाई इस सुन्दर रचना के लिए।

    आगामी गुरूवार 27 जुलाई 2017 को "पाँच लिंकों का आनंद" http://halchalwith5links.blogspot.in के 741 वें अंक में आपकी यह प्रस्तुति लिंक की जा रही है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।

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  5. यादों का लोचा झटका भी दे जाता है

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  6. मर्मस्पर्शी प्रस्तुति !

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  7. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "कौन सी बिरयानी !!??" - ब्लॉग बुलेटिन , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  8. बहुत सुन्दर

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  9. मार्मिक पूर्ण अभिव्यक्ति !

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  10. यादों का लोचा यादों का लोचा

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  11. चंद शब्दों में पूरी कहानी..

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  12. नमस्ते,आपकी लिखी यह प्रस्तुति गुरूवार 27 जुलाई 2017 को "पाँच लिंकों का आनंद "http://halchalwith5links.blogspot.in के 741 वें अंक में लिंक की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा ,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।

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  13. ज़िंदगी भी एक लोचा ही है. दिल को छू गयी छोटी सी कविता.

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