"अगर उसने कुछ सोचा होगा तो
मुझे भी सोचा होगा
हल्के-हल्के हाथों से फिर,
अपनी आँखों को पोंछा भी होगा
देख उँगली पर अटकी बूँद-
एक हल्की सी मुस्कुराती लकीर,
उसके होंठो को छूकर गुज़री होगी
और झटक दिया होगा सिर कि -
ये यादों का लोचा होगा ......."
.-अर्चना चावजी
यादों का लोचा...???
ReplyDeleteयादों का लोचा अच्छा है।
ReplyDeleteये यादों का लोचा आपने बेहद सटीक ढंग से प्रयोग किया, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सुन्दर शब्दशिल्प और भावों की मोहक अभिव्यक्ति। भावों का घनत्व शब्दों की संख्या से बेपरवाह होता है। दिल में यादों के समुन्दर से एहसासों की मौजें उठती हैं और आँखों से छलक पड़ती हैं। आपको बधाई इस सुन्दर रचना के लिए।
ReplyDeleteआगामी गुरूवार 27 जुलाई 2017 को "पाँच लिंकों का आनंद" http://halchalwith5links.blogspot.in के 741 वें अंक में आपकी यह प्रस्तुति लिंक की जा रही है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।
यादों का लोचा झटका भी दे जाता है
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी प्रस्तुति !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "कौन सी बिरयानी !!??" - ब्लॉग बुलेटिन , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteमार्मिक पूर्ण अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteयादों का लोचा यादों का लोचा
ReplyDeleteचंद शब्दों में पूरी कहानी..
ReplyDeleteनमस्ते,आपकी लिखी यह प्रस्तुति गुरूवार 27 जुलाई 2017 को "पाँच लिंकों का आनंद "http://halchalwith5links.blogspot.in के 741 वें अंक में लिंक की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा ,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।
ReplyDeleteज़िंदगी भी एक लोचा ही है. दिल को छू गयी छोटी सी कविता.
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