न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
नेट बढ़िया नहीं है, लोहे के घर में।
वाह्ह्ह्ह कविता यहीं दे देती आसान काम रखा करो1 समय बचे 1
मेरा उद्देश्य उस ब्लॉग तक सबको पहुँचाना भी है,क्योंकि मैंने उस ब्लॉग की एक ही रचना रिकार्ड की जबकि उस ब्लॉग पर कई रचनाएं होती है,जिन्हें पढ़ा जाना चाहिए ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुंदर, आभार आपका.रामराम#हिन्दी_ब्लॉगिंग
अति मनोरम,सुनती रही मगन .
नेट बढ़िया नहीं है, लोहे के घर में।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह कविता यहीं दे देती आसान काम रखा करो1 समय बचे 1
ReplyDeleteमेरा उद्देश्य उस ब्लॉग तक सबको पहुँचाना भी है,क्योंकि मैंने उस ब्लॉग की एक ही रचना रिकार्ड की जबकि उस ब्लॉग पर कई रचनाएं होती है,जिन्हें पढ़ा जाना चाहिए ...
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर, आभार आपका.
ReplyDeleteरामराम
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अति मनोरम,सुनती रही मगन .
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