Saturday, December 28, 2013

नया साल ...

भटकता है मन
छिटकती हूं मैं
देखो-
फ़िर चला आया है 
एक और नया साल...

तुम्हारे बिना
अकेले चलना 
कठिन है बहुत
साल दर साल....
देखो-
फ़िर चला आया है 
एक और नया साल...

उम्र का एक और पड़ाव
नन्हा सा  एक जुड़ाव,
और बदल देगा फ़िर से 
विधाता मेरी चाल 
देखो-
फ़िर चला आया है 
एक और नया साल...

जितने करीब आना चाहूँ
रिश्तों को झुठलाना चाहूं
बन्धन उतना ही कसता जाता
खतम न होता मेरा काल 
देखो- 
फ़िर चला आया है 
एक और नया साल...

कुछ काम अभी और हैं बाकी
तुम बिन अकेले करना साथी
न जाने कब होगा खतम ये 
जीवन के नाटक का अन्तराल....
देखो-
फ़िर चला आया है 
एक और नया साल...

भटकता है मन
छिटकती हूं मैं
देखो-
फ़िर चला आया है 
एक और नया साल...


 


Friday, December 20, 2013

ठंड...

१)
ये सरसराहट
और
ठंड़ी हवा की
छुअन
बीते पल
याद दिलाती है...
क्योंकि
रजाई में दुबके ही
सुबह-सुबह
कहते थे तुम-
तू बड़ी अच्छी
चाय बनाती है........
-अर्चना

२)
कड़ाके की ठंड
और ठंड में ठिठुरते बच्चे
सड़कों पर ....
काश कि कभी
सूरज ले लेता
किराए का कमरा
इन दिनों
फ़ुटपाथ पर
धूप की रजाई
ओढ़ा देती माँ
काम पर जाने से पहले .....
-अर्चना


३)
फ़िर ठंड का मौसम आया है
बचपन की गलियों में घुमा गया है
सुबह देर से उठना
अपनी हथेलियों को रगड़ना
माँ के हाथ का बना स्वेटर
और पापा वाला मफ़लर
सुबह गरम जलेबी और पोहा
शाम को उबला दूध और मेवा
दादी की गरम रजाई में घुस जाना
और फ़िर उनसे राजा-रानी की कहानी सुनना
उफ़्फ़ कितना कुछ याद दिला गया है
फ़िर ठंड का मौसम आया है ...
-अर्चना

४)

ठंड के मौसम में
माँ का पकड़कर नहलाना
ना ना करते मेरा नहाना
और लपेट कर फ़र वाला तौलिया
भाग कर हल्की धूप में जाना
फ़िर मुँह और कान बन्द कर
बिना बदन पौंछे
घुटनों पर सर को दबाना
और दाँतों का किटकिटाना
याद आता है हर बार

ठंड के मौसम में ....
-अर्चना

Tuesday, December 17, 2013

एक हल्का-फ़ुल्का वार्तालाप बज़्ज़ के जमाने का .....

archana chaoji –कॄपया ध्यान दें-----मेरे मास्टरजी को अपने नाम के आगे "आचार्य" लगाना है. कोई उपाय
ताकि वे अपनी ईच्छा पूरी कर सकें...शीघ्र बताएं...समय कम है ......
 vardhman gupte – kya pata.
archana chaoji – तो पता करके बताओ कही से
Sameer Lal – अपने आप से लगाने लगें आचार्य...कोई पूछने थोड़ी न आयेगा.
Girish Billore – उपाय काले घोड़े के बाएं पैर की नाल मंगाएं  
Girish Billore – फ़िर बताता हूं   
Sameer Lal – सो तो अंगूठी धारण किए हैं उसकी   
Smart Indian – आप कुछ लोग मिलकर एक सर्टिफिकेट प्रिंट कराकर अपने प्रधानाचार्य द्वारा उन्हें घर जाकर फूलमाला सहित प्रदान कर दीजिये कि आपके मंडल ने शिक्षा के प्रति उनकी सेवाओं को मान्यता दी है। 
ajay jha – आलरेडी बन चुके किसी आचार्य को उनके आगे खडा करके ..कस के बांध दें ..और एक बोर्ड भी लिख दें ..हम साथ साथ हैं ....   
archana chaoji – @Sameer Lal-भला कैसे---............... आचार्य समीर लाल ---ऐसे..???   
archana chaoji – @ Girish Billore-कहाँ से..?  
archana chaoji – @Smart Indian - सर्टिफ़िकेट मे कुछ छपवाना भी होगा क्या?   
archana chaoji – @ajai jha-ये आलरेडी बन चुके आचार्य कहाँ से मिलेंगे?   
Smart Indian – वह सब आपकी श्रद्धा और भावी आचार्यजी की बैकग्राउंड पर। उदाहरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी प्रचार प्रसार संघ पिट्सबर्ग के तत्त्वावधान में शिक्षा ऐवम साहित्य के क्षेत्र में श्रीमान .... द्वारा प्रदत्त सेवाओं को .... की ... आचार्य की उपाधि से सम्मानित किया जाता है। ... आदि जैसा कुछ.
archana chaoji – @Smart Indian-अब जैसे समीर लाल जी के लिए बनवाना हो तो कैसे होगा ?  
Smart Indian – तो ये सब मज़ाक था? हम तो समझे कोई गुरू जी शर-शय्या पर पडे हैं आचार्य पदवी के उत्तरायण के इंतज़ार में और आप सीरियसली उनकी अंतिम इच्छा पूरी करना चाहती हैं। ऐनीवे, अपनी एक पंक्ति सुनिये अब सज़ा के तौर पर ...
प्रवृत्ति है अनुहार ढूंढने की, जभी तो ठगा जाता हूँ मैं  
Smart Indian – समीर जी के लिये है तो प्रमाणपत्र में से पिट्सबर्ग हटाकर इन्दौर या जबलपुर कर दीजिये।  
archana chaoji – माफ़ी चाहूँगी अनुराग जी ...आप जो भी सजा दे कबूल है ..   
archana chaoji – द्वारा प्रदत्त सेवाओं को .... की ... आचार्य की उपाधि-------और यहाँ -?   
archana chaoji – समीर जी का नाम उदाहरण के तौर पर लिया था...दर असल जानकारी ये चाहिये थी कि क्या आचार्य लिखने के लिये कोई कोर्स किया जाता है क्या? 
Surya Mani Pandey – Haa aachary ki upadhi Sanskrit vishvvidyalay dvara pradan ki jaane vali post graduation degree hai .  
Dr. Mahesh Sinha – अपना सरनेम आचार्य रख लें   
Surya Mani Pandey – Aise to sir name kyo ...
Naam hi rakh le to kabhi kabhi aachary.ji bi sunne ko milega .. 
archana chaoji – नही ......नाम के आगे आचार्य लगाना है ..  
Surya Mani Pandey – http://ssvv.up.nic.in/

Pe logon karen ... 
Surya Mani Pandey – Aur aachary ki degree ke baad hi sambhav hoga ..  
Surya Mani Pandey – Prathama
10
Class V
Purva – Madhyama
13
Class VIII With Sanskrit; Prathama or equivalent examination recognized by Sansthan.
Uttara – Madhyama 
15
Purvamadhyama, Matric with Sanskrit or equivalent examination.
Prak – Shastri
15
Class X (Of Board examination) subject to passing the entrance test in Sanskrit.
Shastri
17
+2 with Sanskrit Uttara Madhyama, Prak Shastri or equivalent.
Bridge Course (Setu)
19
Shastri or equivalent
Acharya
20
B.A. with Sanskrit, Shastri or equivalent.
Shiksha – Shastri
20
Shastri or Acharya or equivalent exam in Sanskrit with at least 45% marks and subject to passing PSST exam.
Vidyavaridhi 
22
Acharya or equivalent exam in Sanskrit with at least 55% or 60% marks  
archana chaoji – शुक्रिया............*Surya*...  
Sameer Lal – मोटों की बात चले तो उदाहरण समीर लाल, कालों की बात चले तो उदाहरण समीर लाल, ब्लॉगरों की बात चले तो उदाहरण समीर लाल, अब आचार्य में भी हम ही धिसटा रहे हैं...मानो समीर लाल, समीर लाल न होकर बस उदाहरण हो गये हो....

इत्ता कोर्स करने से बेहतर बिना आचार्य लिखे जी लेंगे किसी तरह. :)   
archana chaoji – हा हा हा ...मै अपना उदाहरण वापस लेती हूँ...   
Surya Mani Pandey – Teen cheejen vaapas nahi hoti ...

1.Baat jubaan se
2.Teer kamaan se
3.Aur samay   
archana chaoji – ओह्ह.. प्लीज इस बार माफ़ कर दो ..आगे से ध्यान रखूंगी 
Surya Mani Pandey – Sameer sir
Aap hi kuchh upaay sujhaayen ...  
Sameer Lal – अपने नाम के आगे आचार्य की जगह उद. लगा लेता हूँ...याने उदाहरण के लिए पढ़ा जाये....

उद. समीर लाल

ex. sameer lal  
Surya Mani Pandey – Achchhi baat hai ...
Aaye the hari bhajan ko otan lage kapaas .. 
Sameer Lal – कपास तो हाथ लगी..यहाँ तो बेवजह पिसे... :)   
Surya Mani Pandey – Aap hi kuchh maarg darshan kare nahi to Sanskrit vishvvidyalay ki raah dekhnee padegi ...  
Surya Mani Pandey – Vahi haal hai gavaah chust
muddai sust ..
Aise thode aacharya ki degree miltee hai ...  
Sameer Lal – अरे, मगर हम कहाँ मांगे आचार्य की उपाधि..हमें तो उदाहरण में लपेट लिया गया....   
Surya Mani Pandey – Ab mai kya kahoo...

Jaan bachi to laakhon paaye ..
Ghar ko budhdhoo laut ke aaye ...  
archana chaoji – हा हा हा बहुत सही फ़रमाया Suryaa..... 
Sameer Lal – समीर लाल ’समीर’ ही ठीक है...बस्स!!!   
Surya Mani Pandey – Sameer sir
Chhaa gaye hai chaaro taraf ...   
Sameer Lal – size hi aisa hai...ki jahan khade ho jayen, chaye se hi lagte hain..kai bachche to dhoop se bachne ke liye humari panah le lete hain. :)  
Surya Mani Pandey – Bahut achchhi baat baat hai sir Aap mahan hai ...
Aap khud dhoop me khade rahte hai aur ...log aapki chhaya me mastee karte
hai ...
Aap apnee chhaya aise hi pradan karte rahen ..
Aapko Dandvat ... 
Sameer Lal – तथास्तु!!!! खुश रहिये!! :)   
Surya Mani Pandey – Shukriya .... 
Raj Bhatia – अगर हमे दक्षिणा दे तो हम लगा देते हे आचार्य नाम के आगे, सार्टीफ़िकेट भी मिल जायेगा नकली या असली इस से क्या लाभ, बस सार्टिफ़िकेट मिल जायेगा  

Thursday, December 12, 2013

एक नरम दिल फ़ौजी...गौतम राजरिशी

कल परसों ही मैंने बताया था न कि  मन एक गीत पर जाकर फ़ँस गया था तो  ऐसे ही एक दिन नज़र जाकर अटक गई थी गौतम राजरिशी जी की गज़ल पर -- अब तो सबको पता है कि मुझे गाना आता नहीं .. वो तो ईश्वर मेहरबान हो जाता है कि ऐसी सिचुएशन बनाते रहता है ...जैसे इस गज़ल की एक लाईन --
"ऊँगली छुई थी चाय का कप थामते हुए".....(और चाय तो अपनी कमजोरी है )
तो इसको जब गाने का मन हुआ तो बहुत रात हो चुकी थी , और भतीजा बगल के कमरे में पढ़ाई कर रहा था तो आवाज ज्यादा जोर से नहीं निकाल सकती थी...दबी सी आवाज में ट्राय किया कि इसे अभी ही रिकार्ड करूं , मन गया तो फ़िर गया ही समझो ...सो ये हुआ रिकार्ड-



 अब गा लिया तो सुनाना भी जरूरी हो जाता है, सो भेज दिया गौतम जी को ...और उनकी प्रतिक्रिया थी -

"ओ माय गॉड.... ओ माsssssय गॉड !!!!! अर्चना मैम ...कितनी सूदिंग आवाज़ है आपकी ! शुक्रिया मैम ! वैसे अचानक से शुक्रिया शब्द छोटा प्रतीत हो रहा है | फिर भी...शुक्रिया ! शुक्रिया !! शुक्रिया !!!! नेट की स्पीड इतनी मद्दम है यहाँ इन पहाड़ों पर कि बड़ी मुश्किल से तो डाउन्लोड हुआ है ये और तब से लगातार यही बज रहा है मेरे लैपटॉप पर रिपीट मोड में |"

और गौतम जी ने अपने ब्लॉग पर इसे जो सम्मान दिया... मेरी आँखें नम हो गई पता नहीं क्यूँ.....

Tuesday, December 10, 2013

मन है कि मानता नहीं ....

 कभी-कभी मन किसी जगह/ बात/ रचना पर जाकर ऐसे फ़ँस जाता है कि बार -बार कोशिश करने पर भी लौट नहीं पाता वहाँ से, ऐसी की एक रचना रवि शंकर जी के इस ब्लॉग पर देखी ...तबियत कुछ ठीक नहीं चल रही कुछ दिनों से गाना तो वैसे भी नहीं आता पर इस शौक ने जान निकाल रखी है , फ़िलहाल साँस भी फ़ूल रही है , पर मन है कि मानता नहीं ...
वैसे भी कौन हम गायिका हैं जो झेंपे ऐसा-वैसा गाने से .... हम तो बस "रमती जोगिन" हैं सो ले आई हूं इस गीत को  आपके लिए ......
अब सुनिये .....



इनके  ब्लॉग का नाम है -  वो मुझमें तेरा हिस्सा सा.... 




Saturday, December 7, 2013

चार पंक्तियाँ ...

वक्त ने फ़िर नया मोड़ लिया
उफ़नती लहरों के बीच हमें छोड़ दिया
हैं हम पानी से भी तरल और सरल
बस! हमने भी चट पट बूँदों से रिश्ता जोड़ लिया ....


इन्सान बनाने की प्रयोगशाला  में
ईश्वर ने हमको दुखों का कोढ़ दिया
भूल गया था शायद जल्दबाजी में वो भी
सहनशक्ति की आलमारी का ताला खुला छोड़ गया ....