दो---
पिछली पोस्ट मे मैनें कई तरह की माताओं के चेहरों का जिक्र किया था जो मेरी आखॊं के सामने आते चले गये
थे (क्योकि मैने उनके साथ समय बिताया है) अगर सब के बारे में दादी की तरह लिखूं तो एक किताब ही छ्पजाये मगर अभी हिम्म्त नहीं हो रही है। यहां सिर्फ़ थोडा-थोडा-----
एक माँ, जिसके १७ साल के एकलौते बेटे को नशे की आदत ने जकड़ लिया।३०साल से उसकी आदत छुड़ानें केलिए प्रयासरत है।अब तक बेटे और उसके परिवार का साथ निभा रही है ।अब शायद एक ही इछ्छा मन में लिये है कि उसकी पोती की शादी करने के बाद ही उसकी आखें बन्द हॊं।
एक माँ, जिसकी विवाहिता बेटी की करंट लगने से १३ साल पहले असमय मौत हो गई थी ,जिसका एक साल का दुधमुहां बच्चा अब ९वीं कक्षा में पढ़ रहा है|
एक माँ , जिसके एकलौते बेटे का सड़क दुर्घटना मे दिमाग क्षतिग्रस्त हो गया और वो ४-५ माह से अस्पताल में अपने१६वर्षीय बेटे की याददाश्त वापस लाने की असफल कोशिश कर थी इसी बीच उसके पति को पीलियाहो गया, पति को किसी दूसरे अस्पताल में रखा गया था|२-३ दिन तक दिखाई नही देने पर पूछ ही लिया किआज इसकी माँ नही आई जबाब मिला वो घर पर ही है उसे दोनों जगह जाना पड़ रहा है आज रो रही है कि मैकहीं नही जाउंगी दोनों को मर जाने दो।ये घटना सन् १९९३ की है |
और भी है मगर, और नही, बस अभी ,और नही, बाकी फ़िर कभी सही !!!
उक्त सभी माताओ को सादर नमन !!!!!!!!!!!
4 comments:
और एक माँ ऐसी भी जिसका पति उसे छोड़ चला गया ...और वो अपने ३ बच्चो को पालने की खातिर म्हणत मजदूरी करती रही ....इस चिंता के साथ की बच्चे पढ़ लिख जाएँ इनकी शादी हो जाए ....और अपने पैरों पर खड़े हो जाए ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
उन सभी मोंओं को दंडवत नमन. आभार.
hamne bhi ek maa dekhi hai.. jinke bare mein shabdon mein keh pana aasan nahi, sab kadhinayiyon se ladi, sari mushkilein sahi.. par apne bachchon par aanch tak nahi ane di.. hats off..
ek meri bhi ma,
jise apna dard kabhi dard na laga aur mujhe agar khansi aa jaye to chinta sataye ...sabko apna samjhe par apna dard apne andar chipaye. Himmat ki misal lekin kuch naya karne se aaj bhi bacchon ki tarah darti...mahatma gandhi sa saada jeevan aur sacchi vani ... mukh khole to nikle amrut vaani...
ma, aapko mera shat shat naman.
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