न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Tuesday, October 30, 2012
Friday, October 19, 2012
संगीत की मधुर लहरी....
विडियो यू ट्यूब के सौंजन्य से ....
यूँ ही संगीत सुनते-सुनते एक दिन ये विडियो मिल गया था ...किसी फ़ोल्डर में छुपा पड़ा था कल अचानक फ़िर सामने आ गया आप भी सुनिये..और खो जाईये ...संगीत की मधुर लहरी में .......
Wednesday, October 17, 2012
आँखें बोलती हैं...
मेरी इस नादानी पर ...
मैं ,हाँ मैं अब बड़ी हो गई हूँ ,कहते हैं--मेरे बच्चे!.....
और बूढ़ी भी हो रही हूँ...कहते हैं मेरे बच्चे!....
पर मैं जानती हूँ...
मैं अभी नादान हूँ....
नासमझ हूँ...
बातों को देर से याद कर पाती हूँ,
और जल्दी भूल जाती हूँ...
आँखें -देखना पहले से जानती थी ...
पैरों को चलना ...और
जीभ को बोलना- माँ-पिता ने सिखाया...
जीभ ने स्वाद लेना अपने आप सीख लिया..
आँखों से पढ़ना,और हाथों से लिखना सीखा दिया गया मुझे...
आँखें बोलती भी है ...अब जाना है मैंने .......
Tuesday, October 16, 2012
Saturday, October 13, 2012
दिल दुखा है टूटा तो नहीं है ...
सपनों के पीछे भाग रहे इस लड़के अभिषेक कुमार के सारे सपने सच हों यही चाहती हूँ ...स्नेहाशीष के साथ ....
अभि के ब्लॉग एहसास प्यार का से एक पोस्ट
तुम्हारे खत...
आवाज किसकी है, ये बताना जरूरी नहीं है...
अभि के ब्लॉग एहसास प्यार का से एक पोस्ट
तुम्हारे खत...
आवाज किसकी है, ये बताना जरूरी नहीं है...
Thursday, October 11, 2012
पाती...
नाम जो लिख कर ले जाती हवा मेरी पतिया
जाकर पहुंचाती मेरा संदेस,तुमसे कहती बतिया
द्वार खोले अब भी हर पल तकती हूं राह
देखकर सूना घर निकलती हैं बस आह
नहीं भाती अब मुझे भोर के सूरज की लाली
बहुत बैचेनी से कटती है राते काली -काली
नदी की तरह बहती सी जिन्दगी है अब मेरी
जाने कब किस ओर मुड जाए ये धारा उफ़नती.............
-अर्चना
Wednesday, October 10, 2012
Monday, October 8, 2012
सात भाषाएँ,सात गीत और एक मधुर धुन...एक बेहद साधारण पाठक की पसन्द के ...
एक बेहद साधारण पाठक... जिसकी अपनी पहचान है ...सबसे जुदा भीड़ में अलग-सा .......फ़िलहाल खुद अध्ययन में व्यस्त ...अभी बिना ब्लॉग वाला ब्लॉगर -क्यों कि उस पर आए प्रश्नों के उत्तर देने का समय नहीं मिलता उसे और बिना उत्तर दिये रह नहीं पाता ..आदत है......(आदत से तो सभी लाचार हैं यहाँ ) :-)
..और जिसके अनुसार सुबह-सुबह बढ़िया नाश्ता पेट के लिए और संगीत मस्तिष्क के लिए जरूरी ...
तो सुनिए उसकी पसंद के सात गीत सात भाषाओं के
राजस्थानी
तेलुगु
तमिल
हिंदी
बंगाली
अंग्रेजी
पंजाबी
अंत में आईरिश गीत की बाँसुरी पर धुन
..और जिसके अनुसार सुबह-सुबह बढ़िया नाश्ता पेट के लिए और संगीत मस्तिष्क के लिए जरूरी ...
जिसकी यही बात अच्छी लगती है- सबसे अलग हट कर कुछ करने की
मुझे ‘दीदी’ कह देने पर उस पर अड़े रहना भी...:-) तो सुनिए उसकी पसंद के सात गीत सात भाषाओं के
राजस्थानी
तेलुगु
तमिल
हिंदी
बंगाली
अंग्रेजी
पंजाबी
अंत में आईरिश गीत की बाँसुरी पर धुन
Saturday, October 6, 2012
शाश्वत प्रेम...
हर तरफ़ बस तुम ही तुम ....ये ऐसा भाव है जो सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है .... आप भी महसूस कीजिए --
सलिल वर्मा जी की एक लघुकथा में --- मैं हूँ ना!
और अब एक गीत मेरे मन से ---तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम्हीं मेरी पूजा
सलिल वर्मा जी की एक लघुकथा में --- मैं हूँ ना!
और अब एक गीत मेरे मन से ---तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम्हीं मेरी पूजा
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