Thursday, June 26, 2014

तुमको न भूल पाएंगे ....

केदारनाथ हादसे में  माता -पिता को खो देने पर बेटी ने भावनाएं यूं व्यक्त की -

Dear Mummyji & Papaji

Today,you are being missed, even more for & have to do what you were here's for ..

I am not that big nor that strong , to hold upon to what you thought ..

My legs are weak & tremble nou & then, for I am afraid , to justfy your trend..

God took you apart, from us your lonely kids, And left us alone , to cry, struggle & live..

I am still small and want you to guide, for all steps I take, for all that I make ..

But I know, I am alone, without you to guide , for I have to stand and hold up your child's..

I pray you, plz guide me , to the right path that's for us , for though you are not here , I need your blessings..

Oh! dear Mummyji- Papaji , you are being missed......

- पल्लवी चावजी धार्वे

Sunday, June 15, 2014

शिक्षा अभिभावकों के लिए ...अपने बच्चों की खातिर...भाग -३


(वत्सल का लिया एक चित्र)
 अगर आपके बच्चे स्कूल जा रहे हों या जाने वाले हों तो कॄपया ध्यान दें .......
सुनें बच्चों व आपके हित में जारी पॉडकास्ट आपके लिए....

"बस यूँ ही".......अमित: से 
स्कूल कैसा हो - भाग तीन 

Wednesday, June 11, 2014

छोटी सी बात .....

फिर एक नए दिन का इंतज़ार
कि सुबह सूरज अलसाया सा उठे
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ओढ़कर बादलों की चादर....
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निकले पंछी कलरव करते
कि पशुओं से भी छूट गए खूंटे
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खुश हो थोड़ा घूमें बाहर.........
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ठंडी सी बयार आए
लेकर के संदेसा बूंदों का
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भीनी सी महक मन ले हर ......
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यादों का पुलिंदा सर पर बोझ सा
अश्रु संग बह जाए अकेले में
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तू अपनों को जब चाहे याद कर ....

Sunday, June 8, 2014

हिन्दयुग्म की श्रंखला ओल्ड इज़ गोल्ड ....

हिंदयुग्म के आवाज़ की आभारी हूं इस श्रंखला के लिए सुनिये  ओल्ड-इज़-गोल्ड के इन सदाबहार गीतों को प्रस्तुत कर रही हूं , आशा है पसन्द आयेगी श्रंखला ...  

रिकार्ड तो बहुत पहले किया था , आज संजोया और सहेजा है " मेरे मन की " पर... अन्तिम कड़ी का प्लेअर फ़िलहाल उपलब्ध नहीं है .... तो उसे फ़िर किसी दिन .... 

मैं बन की चिड़िया बन के.....ये गीत है उन दिनों का जब भारतीय रुपहले पर्दे पर प्रेम ने पहली करवट ली थी



 हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाये....और धीरे धीरे प्रेम में गुजारिशों का दौर शुरू हुआ 


भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना, जमाना खराब है दगा नहीं देना....कुछ यही कहना है हमें भी


दीवाना हुआ बादल, सावन की घटा छायी...जब स्वीट सिक्सटीस् में परवान चढा प्रेम  

पर्यावरण और हम ...






















इश्क करो हरियाली से 

जंगल की खुशहाली से

पंछी- पशु ,उड़े -फ़िरे

बुझे प्यास नदी तीरे

भरके स्नेह बाल्टी 

बहे सुगंध मालती 

वो प्यार से उचारती

     वसुन्धरा पुकारती ....

थोडा सोचा होता--------------------------------------

--  वत्स भीष्म ...........
काश तुम अपनी प्रतिज्ञा तोड देते 
तो क्या हमें तुम जैसे  --
दो चार या ज्यादा.......
शूरवीर,बलवान,
धैर्यशील,गुणवान वीर
----और न मिलते ???
कितना अच्छा होता--
यदि तुम ये प्रतिज्ञा न करते.....
और बदले में
इसे लेने को
दुर्योधन को प्रेरित करते ,
ये तुमने अच्छा नहीं किया--
तुम तो बस-- एक बार बाणों पर सो गये
और बाणों की नोकों को ----
हमें --इतना अन्दर तक चुभो गये
आज तक हम इस पीडा को भोग रहे हैं--
और अब भी कहीं---
दुर्योधन के वन्श में----
-----------और ---------------जैसे डॉन--
जन्म ले रहे हैं.............................

Friday, June 6, 2014

पुकार...



लम्बे होते हैं
घंटे दोपहर के
नवतपा में

जलती धरा
लू के थपेड़ों संग
मृत- जीवन

आओ बादलों
बरसो रिमझिम
बचा लो तृण

तनिक अब
सूरज ले विश्राम
मिले आराम

जन-जीवन
ले लें चैन की सांस
दो पल रूक

महके धरा
नभ के अमृत से
सौंधी सौंधी सी

खिले कोपलें
करें प्रकृति अब
नव श्रृंगार

चहके पंछी
वन उपवन में
सुबह-शाम

पशु लाचार
न तरसें छांह को
न ही पानी को

आओ बादलों
बरसो रिमझिम
जीवन दे दो....

Sunday, June 1, 2014

पंख लगा समय भागा...

समय तो निकल ही भागता है
हाथों से फिसलकर
ज्यों फिसल जाती है रेत
और टपक जाता है हर लम्हा
ज्यों टपकती है बूँद पानी की हाथों से
रह जाते हैं निशाँ
गहरे होकर
हादसे से हुए जख्मों के
क्यों कि
रिसता रहता है घाव
हर संवेदना व्यक्त करने वाले के साथ
मोमबत्ती जलाने से टपका मोम
हरा रखता है जख्मों को
या फिर कई और तरीके भी तो हैं...
समाचार बनाने के ...
कड़े शब्दों में निंदा करना
बहुत आसान होता है
या फिर
बस एक ट्वीट
फिर "केदार" पूजे जाएंगे ही
और बहा ले जायेगी गंगा
सारे अस्थिपंजर इस बार
बाँट दिए गए हैं मुआवजे
सोलह जून केे
जारी हो गए मृत्यु प्रमाणपत्र
हो चुके हैं चुनाव
आई पी एल भी उफान पर है
डाक्टरों की भी जांच जारी है
शिक्षा डिग्री की होती है
संस्कारों की नहीं ...
.
.
.
मगर "मायरा"
मेरी बच्ची ! तुम
कब बड़ी हो जाओगी
अपनी मम्मी की तरह..
ये बता पाना मुश्किल होगा
किसी के भी लिए
क्योंकि
समय तो निकल ही भागता है
हाथों से फिसलकर .......
-अर्चना
(फोटो - मम्मी-पापा के साथ मायरा और पल्लवी (मायरा की मम्मी) मायरा की नानी के साथ )


चित्र-कविता



सूरज, की तरह स्थिर रहो
सबके जीवन में
नदी की तरह बह निकलो
सबके जीवन से

पेड़ जैसे छाया दो
सबको जीवन में
धरा सा बसेरा दो
सबको अपने मन में
...