Monday, April 30, 2012

मेरा आकाश ..मेरी आकांक्षा...

ये जो बादलों के टुकड़े हैं,उन्हें पकड़ना है
न जाने कितनी दूर से समेटना है
कुछ इतने भारी कि जगह से न डिगते
कुछ इतने हलके कि जगह पर न टिकते
रह रह कर जब वो उनको निरखती
सोचती,रूकती, फ़िर दौड पड़ती
तभी उसकी अपनी कुछ बूँदें बरसती
जब कभी वो हँसती,किसी को भिगोती
नहीं कोई किस्सा न कोई कहानी
हकीकत है ये,मेरी खुद की जुबानी
काश इन बादलों को जल्द ही मना लूं
जल्द ही अपने आगोश में छुपा लूं
साथ लूं सबको और रुक जाउं
साथ ही बरसूं और सुकूं पाउं....

Wednesday, April 25, 2012

हाए!!! क्यों ?

कमरे की खिड़की
गाड़ी का हार्न
और आँखों की चमक ...

भीनी -सी खुशबू
चादर की सिलवट
और चूड़ियों की खनक...

तुम्हारा देर से आना
मेरा मुँह फ़ेरना
और चॉकलेट आईस्क्रीम...

माँ का प्यार
रेशम की डोर
और आँखों की नम कोर...

लौटते पंछी
नीला आसमान
और डूबता सूरज......


Sunday, April 22, 2012

क्या तुम और क्या मैं !!!


शानदार आलीशान फ़ुटपाथ पर रहने वाले दो बच्चे सोनू और मोनू की बातचीत...

सोनू- और क्या भीड़ू ?

मोनू- मस्त है...अपनी बताओ..

सोनू- अपुन बी मस्त! ...आज शाम का क्या प्रोग्राम है?

मोनू- कुछ नई... वोSS..काका को छुट्टन को लेके दवाई दूकान पे जाने वाला है ,तो उसका ठेला देखने का है एक घन्टा ..उसके बाद फ़्री...क्यों?

सोनू- नई ..वो माँ को बुखार है, तो बंगले पे जाने का है,...सोचा ...मैं जब तक काम निपटाउँगा.... तू बाबू साब की कॉपी में चित्र बना देता.....

लघुकथा- अर्चना
 


ये  महज एक लघुकथा नहीं ....एक बहुत बड़ी-सी कथा है मेरे लिए....
शानदार आलीशान फ़ुटपाथ ....आजकल हर जगह सड़कों और फ़ुटपाथों के निर्माण की प्रक्रिया चालू है ....और घर बदलते कई परिवार नये फ़ुटपाथ पर बसते दिखाई दे जाते हैं ....
सुबह स्कूल जाने के समय पूरे परिवार की भागदौड़ी ...काम की तलाश ...बच्चों की बेफ़िक्री ....बड़े भाई-बहनों की गोद में रोते छोटे बच्चे ...जैसे दॄश्य आम हैं....
 और बाबूसाब की कॉपी.....माँ के साथ काम पर जाने वाले बच्चे की निगाह बँगले में रहने वाले बच्चे  की खेलने -पढ़ने की चीजों पर रहती ही होगी ..सोचती हूँ उनमें भी कई कलाकार छुपे होंगे....