न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Sunday, August 25, 2013
Friday, August 23, 2013
आज फिर गाने लगा है गीत कोई...
"आज फिर गाने लगा है गीत कोई..." राकेश खंडेलवाल जी के ब्लॉग "गीत कलश" से एक गीत --
आभारी हूँ राकेश जी की गीत रिकार्ड करने की अनुमति सदा के लिए दे रखी है उन्होंने .... :-)
आभारी हूँ राकेश जी की गीत रिकार्ड करने की अनुमति सदा के लिए दे रखी है उन्होंने .... :-)
Thursday, August 22, 2013
सिक्के का दूसरा पहलू - एक कहानी
संगीता जी को कौन नहीं जानता ...
आज यहाँ सहेज ली है मैंने संगीता पुरी जी के ब्लॉग गत्यात्मक चिंतन से उनकी लिखी कहानी "सिक्के का दूसरा पहलू"
आज यहाँ सहेज ली है मैंने संगीता पुरी जी के ब्लॉग गत्यात्मक चिंतन से उनकी लिखी कहानी "सिक्के का दूसरा पहलू"
Wednesday, August 14, 2013
Tuesday, August 13, 2013
पंछी बनूं उड़ती फिरूं.....
जीवन मेरा
बुलबुल के जैसा
चुलबुल सा
गोरैया हूँ मैं
घर में ही रहती
बच्चे पालती
कोयल सी मैं
सब कुछ गा लेती
मधुर बना ...
-अर्चना
Sunday, August 4, 2013
वरना ...
कभी लेटने को खुली छत
या कभी दो पल को
सुकून मयस्सर नहीं होता
वरना
चाँद -सितारों से
टिमटिमाते तारों से
बातें करना
किसे अच्छा नहीं लगता
इसे कर्मों की करनी कहें
या भाग्य,
या अपना नसीब
कि हम
पिंजड़े में बंद हैं,
वरना
खुले आकाश में
स्वच्छंद हो
उड़ना
किसे अच्छा नहीं लगता
वो तो ,उनके साथ बीते
पलों की यादें
पीछा नहीं छोड़ती
वरना
सुहाने मौसम में
सजना ,सँवरना
किसे अच्छा नहीं लगता
- अर्चना
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