Saturday, June 27, 2009

क्या मैं गा सकती हूँ ? ? ? ? ? ?

मेरा व मेरी छोटी बहन रचना का गाया पहला गीत आप यहाँ सुन सकते है -----बताओ कैसा लगा ?????



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Friday, June 26, 2009

एक कम पच्चीस ----गिनो तो जरा -----

कम से कम वे सब पढें जिनके नाम या लिंक है इसमें --------बहुत मेहनत की है मैंने जाया करें प्लीज ------ -----फ़िर से वही----

काश कि वह छिप पाता !!!!!

हम सबके जीवन में कई बार ऐसा कुछ घटता है कि , हम समझ ही नही पाते कि--- ऐसा हुआ तो हुआ ही क्यों??? कैसे??? और---
सब-कुछ अच्छा होते- होते अचानक ही सब- कुछ बदल जाता है---और ऐसा जब हमारे आसपास बार-बारहोता है तो इस तरह की कविता का होना स्वभाविक है-----

"
इस बार ईश्वर ने फ़िर ऐसा खेल खेला---
कि जिसने देखा,वो सिहर गया था
और फ़िर पासा पलट गया---
शायद शकुनी ने फ़ेंका था
उससे सब कुछ छिन गया---
जिसने अभी हाथों में भी पकडा था
हम चाहें भी तो कुछ नहीं कर पा रहे हैं---
शायद ईश्वर ने उसे अच्छा बनते देख लिया था "


Thursday, June 25, 2009

कहानी बैठे-ठाले!!!!!

पिछले दिनों मै अपनी बेटी रानू के साथ छुट्टियाँ बिताने नासिक गई थी -"रचना" और "निशी" के पास ।दिन भर हम " चंगदूरी "या "अष्ट,चंग,पे " (एक तरह का घरेलू खेल- कौडियों से खेला जानेवाला) और पत्ते खेल-खेल कर बोर हो गये ------- तो बनी कहानी बैठे ठाले---
एक दिन निशी, जो मेरे आस पास ही घूम रही थी, ने धीरे से मेरे कान में कहा----मौसी!!!मैने और रानू दीदी ने कुछ सोचा है मगर किससे कहूँ मेरे मन की???----मैंने कहा ---बोल देनी चाहिए अपने दिल की बात ----वो मौसी ऐसा करते हैं ---- एक शाम मेरे नाम पार्टी रख लेते है---- कुछ मित्रो को बुला लेंगे बढिया खाना वाना करेंगे,गीतों की महफ़िल भी सजा लेंगे ------आईडिया बढिया लगा और मैने जोडा पास के लोगों को तो आवाज देकर ही बुलवा लेगें मगर जो दूर हैं उनका क्या ?------मुन्ना
सुन रहा था खुश होकर बोला------सुबीर संवाद सेवा से खबर भिजवा देंगे !!!!-----हाँ ये बढिया रहेगा-----बोली ही थी कि रचना की आवाज आई------मुझे भी कुछ कहना है------
क्या ???-------
-----मुन्ने के बापू
को बुलवाना है???------
-----
वो आयेंगे ???
----
हाँ शायद!!!!
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अरे वे तो उन्मुक्त जीवन जीते हैं, कुछ दिनों पहले तो अफ़्रिका गये हुए थे ,अभी शायद केरल में होंगे, आ गए क्या?? ।
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तो क्या हुआ ? ,समीर जी को भेज देंगे----वो उडनतश्तरी पर ले आएंगे ।
--- उनके(समीर जी) पास लाईसेंस है???? , नही तो अदालत के चक्कर लगाने पडेंगे!!!!
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हाँ है , उन्होंने तो अनवरत चलने का बनवा रखा है
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तब ठीक है ,फ़िर तो तुम अनूप जी को भी बुलवा लो---वो फ़ुरसतिया हैं कभी भी चले आयेंगे ,और हाँ ओम आर्य को भी बुला लेंगे----बेचारे मौन के खाली घर में पडे रह्ते हैं-------
निशी----ये सब तो ठीक है मगर खाना क्या बनाओगे??????
सबसे पहले तो अजीत जी को बोल देंगे कि इस बार जब वो शब्दों के सफ़र पर जाएं तो अविनाश जी की बगीची से कुछ बढिया सब्जी लेते आयेंगे ---- दाल रोटी चावल भी बना लेंगे ----
रचना----दाल -चावल जल्दी मंगवाना पडेंगे-----एक नजर देखना भी पडेगा!!!!
हाँ!!!!और मीठा??? रानू की आवाज आई--- मुझे शिकायत है सबसे सब जब भी इकठ्ठे होते हो तो सिर्फ़ खानेके बारे मे ही सोचते हो कहीं घुमने का भी प्रोग्राम बनाया करो कभी!!!!
अरे !!! गये तो थे थोडे दिन पहले त्र्यम्बकेश्वर के पहाड पर गुप्तगंगा तक!!!!निरंतर कितना चढना पडा था!!!!
प्लान बनाते-बनाते कब शाम हो गई पता ही नही चला-----दीपक जी ओफ़िस से आ चुके थे-----बोले क्या प्लानिंग हुई???
-----सब कुछ बताया---- बोले कहीं बाहर चलते हैं-----यहाँ आजू-बाजू के लोग मोहल्ला सर पे उठा लेंगे और अपनी भडास निकालेंगे-----शास्त्री जी को बुलाना पडेगा----सारथी की भूमिका निभाने के लिये!!!!!!!!!!!!!! ---

Wednesday, June 24, 2009

-चित्रों भरी कहानी---गुप्तगंगा दर्शन

नासिक यात्रा---मई ०९-----चित्रों भरी कहानी---गुप्तगंगा दर्शन
एक---


रानू , मैं , और निशी-----गुप्तगंगा जाते हुए----त्र्यंब्केश्वर में----चल चला चल!!!








दो---








मैं ,निशी के साथ------दो घडी वो जो पास बैठी!!!!








तीन---




मैं ,निशी के साथ------ये तो कुछ भी नहीं!!!!










चार---




शहर!!!!! वाह्ह्ह!!!!!











पाँच---




शहर!!!!! वो ऊऊऊऊ!!!!!!










:---





निशी गुप्तगंगा के द्वार पर------










सात---





गुप्तागंगा------त्र्यंबकेश्वर (नासिक)---- बोलो ---ओम नम: शिवाय!!!!!




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पहला प्रयास है चित्रों भरी कहानी लिखने का------------

Tuesday, June 23, 2009

कविता

माँ के जैसा----हाथ फ़ेरती
माँ -सी सरल,सहज----कविता
बाबा जैसा----समझाती
कडक,गरम,प्रबल----कविता
बच्चों-सी हँसती,खिलखिलाती
छोटी-छोटी ,नरम ----कविता
दादी-नानी की याद दिलाती
जब गोदी में हमें लेती----कविता !!!!!

Monday, June 22, 2009

अथ: सर्किट--भाई संवाद !!!!

----ऐ भाई !!!, अपुन को एक बात बोलने का है ---
----क्या???? किसी का माल उठाया है ,या किसी को टपका के आया है ---
----नई भाई !!!, आज तो बहुत अच्छा वाला बात बोलने का है ---
----चल-चल जल्दी बोल--- भेजा क्यूँ खा रहेला है ---
----ऐ भाई आज अपुन ब्लोगिन्ग की दुनिया मे गया था ,-----
----ऐ !!!ये कौनसी दुनिया है रे सर्किट???----
----कोई ऐसी-वैसी दुनिया नही है भाई ,एक बार चले जाओ तो वापस आने का मन ही नही करेगा ,
----ऐसा क्या???,तो बोल-बोल ,फ़टाफ़ट अपना मुँह खोल---
----अरे भाई बताउंगा,पहले बताओ आपका मूड कैसा है ???
---- ऐ बोल नई तो ---दूंगा खींच के-----
----वो भाई ,अपुन तो आपका मूड फ़्रेश कर रयेला था !!!,
----चल बता --- कहाँ से गया तू----
----अरे !!!! कहीं से जाना नही पडता है ,बस एक नेट का काम है ।----
----ऐसा क्या ,
हाँ भाई---, एक अपुन का आपसे बडा वाला "उस्ताद"है भाई----
----ऐ!!! क्या बोला ????,
----सॊरी भाई मुंह से निकल गया----
----चल आगे बोल---
----वो एक दिन अपुन के इधर आया था----हाँ तो ऐसा है ना भाई वो काम-धंधा वास्ते इधर-उधर जाना पडताहै तो अपुन का संपर्क उससे कम होने लगा था, ---
---= अच्छा !!!!फ़िर????,
----भाई हमार ऐसा रिलेशन है कि ---एक -दुसरे को छोड नही सकता भाई!!!----
----ऐ !!!! फ़टाफ़ट निकाल !!!! चल आगे बोल !!!!
----भाई ,बातों -बातों में अपुन उसको बोला था कि ,अपुन को उसका याद आता रहता है !!!बहुत मिलने कोमन करता है !!!तो-तो भाई उसने एक आईडिया दिया----
----अबे सर्किट को आईडिया ?????---बढिया !!!!---आगे बोल -----
----भाई वो बोला--- एक बॊस है उसका----,उसको बोलेगा तो एक नेट का कनेक्शन ले के देगा -----नेट लेनेका और उसपे "ब्लॉगर.कॉम" लिखने का----
---फ़िर ?????---
----फ़िर मस्त लेटर आयेगा ---उसमे अपना नाम , पता भरके ब्लॉग बना लेने का----
----आगे ????
----आगे क्या भाई वो अपुन को बनाके दिया ,---और भाई नाराज मत होना !!!!आज बता रिया हूँ-----
----अबे बक ना !!!
----ये बात को ६ महीना हो गयेला है ,----
----इत्ता !!!टाईम!!!!?????
----वो भाई आपसे डर लगता था ना , और आगे कुछ करना भी नहीं आता है , अभी थोडे दिन पहले अपुन कीसिस(बहन) के साथ एक गाना रेकोर्ड तो कर लिया पर उसको किसी को सुनाने के लिये पोड्कास्ट करना पडताहै वो अपुन को माथा फ़ोडने के बाद भी नही आया भाई-----तो भाई आप किसी उस्ताद को अगर जानते हों तो
-------


Sunday, June 21, 2009

छोटी-छोटी कविताएँ

१----- जानकारी
अभी तक यही सुनने में आया है---
कि जानकारी के अभाव में लोगों ने अपना समय और पैसा गंवाया है ,
तो हम क्यों जानकारों से करें विनती--- वे सभी को बताएँ---
कि उन्होंने अपना समय और पैसे कैसे बचाए ???


२-----इन्द्र्धनुष
आसमान में रोज नये रंग बनते हैं ,
सूरज भी उगता है और बादल भी छँटते हैं ,
सुख और दुख के बीच हर एक के दिन कटते हैं ,
मिलजुल कर रहें तो ये दोनों आपस में बँटते हैं

३-----हँसी
बातें करो थोडी-थोडी ,
हों वो छोटी , ना हों बडी ,
मुस्कुराओ जैसे बूंदों की लडी ,
हँसो जैसे सावन की झडी


४-----मदद
ऐसी बारिश हो कि कोई नदी सूखे ,
ऐसा वातावरण दो कि कोई दुख मे डूबे ,
खुद भी सीखो दूसरों को भी सिखाओ ,
अपना तो ठीक है, औरों का जीवन बनाओ


५-----गम
मन का दरवाजा खोल दे ,
सपनों पर जमीं धूल उड जायेगी ,
कडवी यादों का अफ़साना बोल दे ,
आंसू बहाने की आदत छूट जायेगी

Saturday, June 20, 2009

मैने हमेशा देखा है---

---- मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जो पत्तल में जूठन छोडकर खाना वेस्ट करते हैं ,
और एक वे जो फ़ेंकी पत्तलों की जूठन खाकर -- खाना टेस्ट करते हैं ।

मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जो आंगन व गाडीयाँ धोकर पानी व्यर्थ बहाते है ,
और एक वे जो कोटरों में पानी रखकर-- पंछियों की भी जान बचाते हैं ।

मैने देखा है हमेशा दो तरह के लोगों को---
एक वे जिनके पैर जमीन पर पडते ही मैले हो जाते हैं ,
और एक वे जो अपने जमीनी मैले पैर कभी नहीं धो पाते हैं ।

---- मैने देखा है हमेशा दो तरह के बच्चों को---
एक वे जो कई रंगों की चाकलेट खाकर उनके रेपर यहाँ-वहाँ फ़ेंक देते हैं ,
और एक वे जो यहाँ-वहाँ गिरे चाकलेट के रेपरों को उठाकर-- उनके रंगों को गौर से देखते हैं ।



जिंदा हूँ अभी----

जिंदा हूँ अभी----

मेरे बच्चों के पिता नहीं रहे
पर मैं अपना गला घोंट पाई
मैने कत्ल कर दिया
अपनी तमाम हसरतों का
और बतौर फ़र्ज
उठा लिया खुद को भी अपनी गोदी में
अब भी पकडी हूँ हाथ अपने बच्चों के
इसी डर से कि वे भटक जाएं कहीं
चलती रही हूँ,चल रही हूँ और चलना है मुझे
जब तक कि मंज़िल पा जाउं कहीं
खुदा से भी कर पाई कभी शिकायत
कि जिन्दा हूँ अभी !!!

Monday, June 15, 2009

ईश्वर तुम्हे सफ़ल करे-----------------

बस आज ज्यादा कुछ नही------ बेटा अपने चित्रों की पहली प्रदर्शनी नैनीताल में लगाने जा रहा है,मै बहुत खुशहूँ--- मेरा आशिर्वाद ।
आप भी उसके ब्लोग पर उसके बनाये चित्रों को देख सकते है-और उसे शुभकामनाएं दे सकते है---

Monday, June 8, 2009

खुशखबर

बहुत दिनों पहले एक पोस्ट लिखी थी "किसका दोष" नाम से मै आज उसकी कडी मे बताना चाहती हूँ "विनी" की माँ की शादी हो गई है,विनी अभी दादा-दादी के पास रहेगी, और एक खास बात यह भी की विनी के दादाजी ने भी विनी की माँ को आशिर्वाद दिया।-----सुखद भविष्य के लिये विनी की माँ (वीणा) को मेरी भी शुभकामनांएँ!!!!!!