Wednesday, June 24, 2015

सुन मेरे...दोस्त,भाई ,बेटे...

तू इधर-उधर मत देख,सीधे-सीधे चलता जा।
इसकी -उसकी मत सुन,अपने दिल की करता जा।
अगर इस जीवन में कुछ करने का , ठाना
है।
तो लक्ष्य को देख और आगे बढ़ता जा।
सुखों को बांटता चल और दुखों को सहता जा।
नदिया की तरह रह -निर्मल, और शांत बहता जा।
ख़ुद व्यसनों से दूर रह ,और सबको कहता जा।
गर आसमां को छूना है ,तो ---------------
पंख हिला कर उडता जा

Friday, June 19, 2015

आज का दिन मेरी मुठ्ठी में है ,किसने देखा कल ....

आज का दिन मेरी मुठ्ठी में है ,किसने देखा कल ..... समय तू धीरे-धीरे चल .... 

सुन रही हूँ ये गीत ...... सोच रही हूँ..मुठ्ठी में से भी तो फ़िसल निकल भागता है दिन ....और ये समय किसकी सुनता है ...सुनी है किसी की इसने .... मैं तो कहती हूँ साथ ही ले चल ...पर नहीं ..... वो भी नहीं होता इससे ...... कभी तो आगे भाग लेता है और कभी पीछे रूका रहता है ....

जिसे साथ ले जाना होता है उसे भनक भी लगने नहीं देता ...और जो साथ जाने को तरसता है उसे भाव नहीं देता ..... 
तो प्लीज ..मेरी ओर से इसे कहो न ---
चल मेरे साथ ही चल ....ऐ मेरे जां , समसफ़र ....

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ग्राउण्ड से लगा बायपास ..जहाँ सुबह की सैर किया करते थे और छत पर शाम को छोटे बच्चों के साथ प्रार्थना

किया करती थी ..पता नहीं अब कितनों को याद होगी .....ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ कोई काम न किया हो ....

अब स्कूल छोड़ना है,तो लग रहा है घर छूट रहा है .....

कोई राजी नहीं जाने देने को ...कहते हैं- लम्बी छुट्टी ले लो,मगर वापस आना ...जाना नहीं .....

मुझे लगता है -कहीं कोई और जगह मुझे बुला रही है ....कुछ और नया करना है ....यहाँ भी कुछ सोच कर नहीं

आई थी ..आगे भी बस चलते जाना है .....

किशोर दा नेपथ्य में सुना रहे हैं - गाड़ी बुला रही है,सीटी बजा रही है ...चलना ही जिन्दगी है ,चलती ही जा रही

है .....
...
..

Tuesday, June 16, 2015

शुभदिन

शुभदिन...
अब न रूको जल्दी जाओ
जाकर खुशियाँ साथ में लाओ
दिए है तुमने गहरे घाव
कुछ नासूर कौड़ी के भाव
उनकों हौले से मलहम लगाना
टीस न उभरे ऐसे सहलाना
पड़े न किसी को यूं भरमाना
जाते- जाते आंसू ले जाना
और सुनो अब जब आना
ख़ुशियों संग प्यार भी लाना .......
-अर्चना